‘बेगर्स लैंड’ नाटक का शो रहा हाउसफुल, दर्शकों के बीच से किरदारों ने ली एंट्री

‘बेगर्स लैंड’ नाटक का शो रहा हाउसफुल, दर्शकों के बीच से किरदारों ने ली एंट्री

शहीद भवन में नव-नाट्य नृत्य संस्था द्वारा आयोजित 18वें भोपाल रंग महोत्सव की पहली शाम मंडली ने बुधवार को नाटक बेगर्स लैंड का मंचन किया। खास बात यह रही कि इस नाटक को देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक पहुंचे और शो हाउसफुल रहा। इस नाटक को राजीव श्रीवास्तव ने लिखा है और उन्होंने ही निर्देशित किया है। इस नाटक में हिंदुस्तान तो बहुत तरक्की कर गया, यहां रोटी अब एक बकवास बात हो गई...., दूर चमकता दिखाई दे रहा है जरूरी नहीं वह तारा ही हो, वह नजर का वहम भी हो सकता है और तुम्हारी नजरों की कमजोरी भी.... जैसे बेहतरीन संवादों का प्रयोग किया गया। जिसने दर्शकों को गुदगुदाया भी और सोचने को मजबूर भी किया। शानदार लेखन और चुस्त निर्देशन के चलते प्रस्तुति बेहतरीन बन कर उभरी। भ्रष्टाचार के मूल मुद्दे को और उससे होने वाले हानिकारक प्रभावों को बखूबी नाटक में उकेरा गया।

नवनिर्माण कार्य के बारे में नहीं बता पाते कर्मचारी

नाटक में एक सरकारी विभाग नव निर्माण विभाग के नाम से जाना जाता है। समस्या यह है कि कोई भी कर्मचारी तमाम माथापच्ची के बाद यह बताने में असमर्थ है कि ऐसा कौन सा कार्य किया जाए जो नव निर्माण की श्रेणी में आता हो। ऑफिस के मुखिया इस बात को लेकर गुस्सा होते हैं, तभी एक भिखारी अचानक मीटिंग में घुसा चला आता है, जिसको सारे कर्मचारी भगाते हैं कि हमारे श्रीमान बड़े-बड़े काम के लिए मशहूर हैं।

चूर-चूर हो जाते हैं भिखारियों के घर के सपने : नाटक के मंचन में बताया कि भिखारी कहता है कि हमारे लिए भी कुछ करवा दो। भिखारी की यह बात श्रीमान को जम जाती है और भिखारियों के घर की योजना पर काम शुरू होता है। भिखारी घरों का सपना देखने लगते हैं और अंत में भ्रष्टाचार की चक्की में पिसती हुई योजना चूर-चूर हो जाती है।

कलाकारों की एंट्री मजेदार रही

खोखलेपन को उजागर करता है और चुटीले संवाद और रोचक दृश्यों के माध्यम से अपनी बात कहता यह नाटक काफी रोचक था। निर्देशक राजीव श्रीवास्तव ने नाटक के शुरुआत से ही अपने कुशल निर्देशन से पकड़ बनाए रखी। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी कलाकारों ने बहुत अच्छा अभिनय किया। नाटक में भिखारी के किरदार की एंट्री मजेदार रही। - रोहित गुप्ता, दर्शक

दो साल पहले लिखा था नाटक

मैंने यह नाटक दो साल पहले लिखा था। एक अजब संयोग देखिए कि अभी सप्ताह भर पहले ही सरकार ने भिखारियों के घर बनाने के लिए सर्वेक्षण कराने की बात कही है, जो कि दो साल पहले लिखे गए नाटक का हिस्सा है। रंगमंच के जरिए हम ऐसे मुद्दों को प्रकट कर पा रहे हैं जो कि आमजन से जुड़े हैं। - राजीव श्रीवास्तव, निर्देशक