नगर निगम के स्वास्थ्य अमले में मचा हड़कंप, 2 स्वास्थ्य निरीक्षकों को तत्काल किया सस्पेंड
जबलपुर। नगर निगम की नवागत आयुक्त डॉ प्रीति यादव का एक्शन मोड जलाल पर है। वे अब सफाई व्यवस्था की ओर फोकस कर रही हैं। गत देर शाम उन्होंने आदेश का पालन न करने वाले स्वास्थ्य विभाग के दो स्वास्थ्य निरीक्षकों को सस्पेंड कर दिया। उनके लगातार निरीक्षण के बाद स्वास्थ्य अमले में हड़कंप की स्थिति नजर आ रही है। गौरतलब है कि दो दिन पहले ही उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारी भूपेन्द्र सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। वे अचानक शहर के किसी भी हिस्से में पहुंचकर आकस्मिक निरीक्षण कर ही हैं।
उन्होंने 8 जनवरी को निकाले आदेश में कहा कि 4 जनवरी को संभाग क्र 6 के अंतर्गत वार्डों का भ्रमण किया गया भ्रमण के दौरान दमोहनाका के आईएसबीटी के मध्य रोडों पर एवं नालियों में गंदगी पाई गई जिसके संबंध में आदेश जारी किया गया था। पत्र के जवाब में संभागीय अधिकारी द्वारा बताया गया कि पूर्व में कई बार उमाकांत शर्मा प्रभारी स्वास्थ्य निरीक्षक को सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने निर्देशित किया गया मगर इसके बाद भी लापरवाही की गई। लिहाजा उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। इसी तरह का आदेश संभाग क्र 14 की प्रभारी स्वास्थ्य निरीक्षक लीना पाल को भी निलंबित किया गया है।
इन 3 लू पोल्स को रोक लें तो सुधर जाएगा स्वास्थ्य विभाग
यदि निगमायुक्त चाहें तो महज 3 लू पोल्स को नियंत्रित कर लें तो सफाई अमला और व्यवस्था सुधर सकती है। अब यह उनकी इच्छा शक्ति पर निर्भर है कि वे इस बारे में कितनी गंभीर हैं। बीट पर शत-प्रतिशत सफाई कर्मियों की हाजरी- इनमें पहला तो बीट पर सफाई कर्मियों की हाजरी शत प्रतिशत सुनिश्चित करना जो बड़ा काम है,इसमें वे जिस पर भरोसा करेंगी वह सफाई कंपनियों से उपकृत होने वाला ही होगा। गिने चुने अधिकारियों में यह प्रयोग पहले भी किया गया है मगर बीटों पर हाजरी सुनिश्चित नहीं हो पाई।
डोर टू डोर कचरा कलेक्शन
सफाई व्यवस्था में दूसरा बड़ी कमी घर-घर से कचरा संग्रहण करने की व्यवस्था है। पहले इसे ठेकेदार के द्वारा करवाया जाता था और शहर के 38 वार्ड इस व्यवस्था के तहत थे और शेष वार्ड नगर निगम का सफाई अमला संभाले था। पूर्व का ठेकेदार कचरा कलेक्शन 325 रुपए प्रति टन की दर पर करता था। बाद में इसे एस्सेल कंपनी को 1425 रुपए प्रति टन पर दिया गया। अब करीब 1500 और सफाई कर्मचारी बढ़ाए गए हैं। संसाधन भी काफी हैं। ऐसे में एस्सेल कंपनी अनुबंध के अनुसार पूरे वाहन लगाए और हर वार्ड के हर कोने तक हर घर से कचरा लें तब जाकर हालात संभल सकते हैं। वर्तमान में कईकई दिन कचरा वाहन नहीं पहुंचते हैं। इनके वाहनों पर जीपीएस अनिवार्य करते हुए यदि कड़ाई कर दी जाए तो कमी दूर हो सकती है।
अधिकारियों या परिजनों की संलिप्तता वाली सफाई कंपनी पर एक्शन
वर्तमान में 5 निजी एजेंसियां शहर की सफाई व्यवस्था का 60 फीसदी हिस्सा कवर करते हैं। इन एजेंसियों में नगर निगम के अधिकारी या उनके परिजनों की संचालन में हिस्सेदारी है। इसकी जांच करवाकर इन एजेंसियों पर कार्रवाई की जाए तो भी व्यवस्था में अंतर आएगा।