चारकोल ब्लॉक में दिखा मां-बच्चे का पहला स्पर्श, एक्रेलिक में उससे दूरी का अहसास
हर मां के लिए उसका बच्चा ही उसका पूरा संसार होता है। मां अपने बच्चे के पालन-पोषण के लिए सभी प्रकार के कष्ट उठाने को भी तैयार रहती है और उनका प्यार भी अनमोल होता है। इसी तरह के मां- बच्चे को लेकर प्यार और संघर्ष की कहानी दिखाती पेंटिंग्स स्वराज संस्थान वीथिका में एम्पिल मिशन मुंबई एवं कमली आर्ट एंड वेलफेयर सोसायटी के तत्वावधान में चल रही ममत्व पेंटिंग एग्जीबिशन में लगाई गईं। इसमें 13 से 50 साल के आर्टिस्ट्स की पेंटिंग्स लगाई गईं हैं। इन पेंटिंग्स में ऑयल, एक्रेलिक एवं मिक्स मीडियम रंगों का कैनवास पर इस्तेमाल किया गया।
अपने बच्चे को दुनिया की हर खुशी देना चाहती है मां
आर्टिस्ट अनमोल खान बताती हैं कि उन्होंने अपनी पेंटिंग में दिखाया है कि एक मां खुद बिना रंगों की जिंदगी जीने के बाद भी अपने बच्चे को बिना रंगों के नहीं देख सकती है। वह अपने बच्चे को दुनिया की हर खुशी देना चाहती है। इसलिए पेंटिंग में मां का जीवन ब्लैक एंड व्हाइट और बच्चे की जिंदगी को रंगीन दिखाया। उन्होंने एक्रेलिक शैली में अपनी पेंटिंग बनाई है।
चारकोल और शेडिंग में सुंदर भाव उकेर कर बनाई पेंटिंग
आर्टिस्ट अवेंद्र मरावी बताते हैं कि उन्होंने अपनी पेंटिंग में चारकोल ब्लॉक के माध्यम से मां और बच्चे के पहले स्पर्श को दिखाया है। उनका कहना है कि जब बच्चा जन्म लेता है तो वह खुद को अपनी मां की गोद में ही सबसे अधिक सुरक्षित महसूस करता है। चारकोल में ही शेडिंग के माध्यम से सुंदर भाव भी उकेरे गए हैं।
पूर्णिमा ने दिखाई भूखे बच्चे और मां की भावनाएं
आर्टिस्ट पूर्णिमा ने अपनी पेंटिंग में बिन मां के बच्चे और उसकी मां दोनों की संवेदनाओं को दिखाया है। उन्होंने एक्रेलिक शैली में उकेरी पेंटिंग में दिखाया कि बिना मां का बच्चा भूख- प्यास से परेशान होकर आसमान में चांद को देख रहा है और पास में ही कुत्ते खाना खा रहे हैं। वहीं आसमान से उसकी मां भी बच्चे को देखकर रो रही है।