ट्रस्ट कागजों पर, चार माह बाद भी विशेषज्ञों को नहीं बना पाए सदस्य

ट्रस्ट कागजों पर, चार माह बाद भी विशेषज्ञों को नहीं बना पाए सदस्य

भोपाल। 14 वर्ष में भगवान श्रीरामचंद्र का वनवास तो खत्म हो गया था, लेकिन श्रीरामचंद पथ गमन का खाका 14 वर्ष बाद भी तैयार नहीं हो पाया है। इसके लिए मध्य प्रदेश में ट्रस्ट तैयार किया गया, जिसे रोड मैप तैयार करने की जिम्मेदारी भी दे दी गई, लेकिन मामला जहां का तहां अटका हुआ है। ये प्रोजेक्ट कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए कई बार से चुनावी स्टंट बना हुआ है। चुनाव से पहले दोनों राजनीतिक दल इस प्रस्ताव पर हवा देना करना शुरू कर देते हैं। हालात यह है कि ये मामला 14 वर्षों से सुर्खियों में तो आता है, फाइलें आगे नहीं बढ़ पाती हैं। श्रीरामचंद्र पथ गमन ट्रस्ट को बैठक कर धर्म के जानकारों और शोधार्थियों की एक कमेटी भी बनाना है, जो यह तय करेगी कि भगवान राम मध्यप्रदेश में किस रास्ते से होकर निकलते थे। इनके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को भी चिंहित किया जाएगा। इन स्थलों का इंफ्रास्टक्चर, संस्कृति और अंतस जुड़ाव पर काम किया जाएगा। इस क्षेत्र का विकास किया जाएगा और जगह जगह उस स्थल के महत्व के शिलालेख किए जाएंगे।

पांच वर्ष से फाइल चल रही

भाजपा सरकार ने 2007 सरकार ने पांच वर्ष पहले इस प्रोजेक्ट को धर्मस्व विभाग को सौंपा था। इसके 11 माह पहले ही धर्मस्व विभाग इस इस प्रस्ताव को संस्कृति विभाग को सौंप दिया। सरकार ने यह घोषणा की है कि इसके राम वनगमन पथ के लिए एक न्यास बनेगा। 4 मई को कैबिनेट में ट्रस्ट बनने के निर्णय लिए गए थे ।

भाजपा सरकार ने 2007 में की थी पहल

राम वनगमन पथ की घोषणा भाजपा सरकार ने वर्ष 2007 में की थी। 2018 में कांग्रेस पार्टी ने इस प्रस्ताव को अपनी घोषणा पत्र में शामिल किया था। कांग्रेस ने इसके लिए बीस करोड़ रुपए का बजट भी रखा गया था। कांग्रेस सरकार गिरने के बाद शिवराज सरकार ने 2020 में इसकी विधिवत घोषणा की।

मध्य प्रदेश में वनगमन स्थल

  • चित्रकूट : धार्मिक स्थलों का विकास और पर्यटकों की सुविधाएं उपलब्ध कराना और भगवान राम का इस स्थल से क्या संबंध रहा है, इसे जुड़ी डिजिटल पट्टिका लगाना था।
  • सतना : अत्रि ऋषि का आश्रम था। यहां 'रामवन' नामक स्थान पर श्रीराम रुके थे। यहीं अत्रि ऋषि की पत्नी अनुसूइया ने सीता जी को दिव्य वस्त्र प्रदान किए थे। 
  • शहडोल (अमरकंटक): जबलपुर, नरसिंहपुर, शहडोल होते हुए राम अमरकंटक गए। सरगुजा में सीता कुंड है। कुछ दिनों तक यहां ठहरने के बाद इसी रास्ते से भगवान राम छत्तीसगढ़ निकल गए थे। 
  • बालाघाट : इसमें बालाघाट, सिवनी, उमरिया, सीधी और शहडोल को शामिल किया जाएगा।

जल्द जारी होगी अधिसूचना

जल्द ही ट्रस्ट की अधिसूचना जारी की जाएगी। इसके बाद ट्रस्टी की बैठक होगी और अगल-अलग कार्यों के लिए धर्म-संस्कृति के जानकारों की समिति गठित कर काम शुरू होगा। अदिति कुमार त्रिपाठी, संचालक, संस्कृति विभाग