कांग्रेस की सरकार बनने पर सबसे सुरक्षित होंगे आदिवासी : कमलनाथ

कांग्रेस की सरकार बनने पर सबसे सुरक्षित होंगे आदिवासी : कमलनाथ

भोपाल। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर कांगे्रस ने प्रदेशभर में आयोजन किए। मुख्य कार्यक्रम प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित किया गया जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, वरिष्ठ आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया, नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह समेत आदिवासी अंचलों से आए पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए। इसके अलावा प्रदेशभर के कांग्रेस नेताओं ने सोशल मीडिया पर वीडियो संदेश भेजकर आदिवासी दिवस की बधाई दी। पीसीसी आॅफिस में आयोजित कार्यक्रम में कमलनाथ ने कहा आदिवासी समाज हमारे प्रदेश के मूल निवासी है, मूल निवासी जल जंगल और जमीन के असली हकदार दो आदिवासी समाज है। उन्होंने कहा कि मैं वचन देता हूं कि चार महीने बाद जैसे ही कांग्रेस की सरकार बनने सबसे सुरक्षित समाज आदिवासी समाज होगा।

भाजपा राज में सबसे ज्यादा अत्याचार आदिवासियों पर पूर्व मंत्री और आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया ने कहा कि आज आदिवासी वर्ग पर भाजपा सरकार में सबसे ज्यादा अत्याचार हो रहे हैं, आदिवासी ऐसा कोई जिला नहीं बचा होगा, जहां दबंगों द्वारा उन पर बर्बरता और शर्मनाक कृत्य न किए गए हों।

पूर्व दस्यु मलखान सिंह कांग्रेस में शामिल

चंबल में 15 साल तक बागी रहे पूर्व दस्यु मलखान सिंह बुधवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। उनके साथ निवाड़ी से आए पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी संतोष शर्मा और भिंड से जिला पंचायत सदस्य भाजपा की सुहानी कुशवाहा ने भी कांग्रेस का दामन थामा। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह, कांतिलाल भूरिया व अन्य नेता उपस्थित थे। कांग्रेस में शामिल होने के बाद मलखान सिंह ने मीडिया से बात की। वे खुद को डाकू कहलाना गलत बताते हैं। मलखान का मानना है कि वे अन्याय के खिलाफ बागी हुए थे। गांव के रामजानकी मंदिर की 100 बीघा जमीन को मंदिर में मिलाने के लिए उन्होंने हथियार उठाए थे। उस दौरान वे पंच भी थे। 15 जून 1982 में मलखान सिंह और साथियों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की मौजूदगी में समर्पण किया था। इसके बाद मलखान 6 साल जेल में रहे। वर्ष1989 में वे सभी मामलों से बरी होने के बाद रिहा हो गए थे।

भाजपा और प्रसपा में भी रहे

मलखान ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए प्रचार किया और टिकट नहीं मिलने पर 2019 में पार्टी छोड़ दी थी। इसके बाद वे उप्र में शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) में शामिल हो गए थे। उन्होंने धौरहरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। उनकी पत्नी ललिता राजपूत गुना की सुगनयाई ग्राम पंचायत की सरपंच हैं।

अन्याय के खिलाफ बिगुल

\कांग्रेस की सदस्यता लेने के बाद उन्होंने कहा कि पहले अन्याय के विरुद्ध बंदूक उठाई थी और आज भी अन्याय के खिलाफ बिगुल बजाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के राज में मां-बेटियां भी सुरक्षित नहीं हैं।