सुरक्षा में चूक पर हंगामा, दोनों सदनों से 78 सांसद निलंबित

सुरक्षा में चूक पर हंगामा, दोनों सदनों से 78 सांसद निलंबित

नई दिल्ली। सुरक्षा में चूक को लेकर सोमवार को संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया। विपक्षी दलों के सांसद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से संसद के दोनों सदनों में बयान की मांग कर रहे हैं। इसे देखते हुए लोकसभा और राज्यसभा के सभापति ने कुल 78 सांसदों को पूरे सत्र से निलंबित कर दिया। इनमें लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन सहित 33 सांसद और राज्यसभा के 45 सदस्य निलंबित किए गए हैं। 13 विपक्षी सांसदों को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। लोकसभा के अधीर रंजन चौधरी समेत कांग्रेस के 11 सांसद, तृणमूल कांग्रेस के 9, डीएमके के 9 और 4 अन्य दलों के सांसद शामिल हैं। वहीं, राज्यसभा से 34 सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित किया गया, जबकि 11 सांसदों की सदस्यता पर फैसला प्रिविलेज कमेटी लेगी। इससे पहले 14 दिसंबर को लोकसभा से 13 सांसद निलंबित किए गए थे। शीतकालीन सत्र से अब तक कुल मिलाकर 92 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है।

गृहमंत्री के बयान की विपक्ष ने की मांग:

दरअसल, विपक्षी दल लोकसभा की सुरक्षा में सेंध के मामले में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से दोनों सदनों में बयान देने की मांग कर रहे हैं।

इन 3 सांसदों का रिपोर्ट आने तक निलंबन:

के. जयकुमार, विजय वसंत और अब्दुल खालिक को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित किया गया। इन पर पोडियम पर चढ़ने का आरोप है।

1989 में 63 विपक्षी सांसद हुए थे निलंबित: इससे पहले 1989 में ठक्कर आयोग की रिपोर्ट संसद में रखे जाने पर हंगामे के दौरान विपक्ष के 63 सांसदों को निलंबित किया गया था। 2019 में 45 विपक्षी सांसद निलंबित किए गए थे।

जो बयान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह टीवी पर दे रहे हैं, हम चाहते हैं कि वो सदन में दें। साथ ही देश और हमें बताएं कि सरकार आगे सदन की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाएगी। - अधीर रंजन चौधरी, सांसद, कांग्रेस

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संसद के भीतर बोलने से डर रहे हैं। यह गृहमंत्री के रिकॉर्ड पर धब्बा है कि वह लोकतंत्र के इस मंदिर पर हमले को देखते रहे। - गौरव गोगोई, सांसद, कांग्रेस

बीजेपी सरकार देश में लोकतंत्र की अहमियत को खत्म कर यह साबित कर दिया कि ये एक-दो क्या 92 सांसदों को भी निलंबित कर सकती है। यह सरकार ‘जिसकी लाठी उसकी भैस’ वाला शासन चला रही है। - एमएच बाणिया, सोशलिस्ट