40 वर्षों से गुजार रहा था लावारिस जिंदगी, अब करेंगे पुनर्वास
इंदौर। रतलाम रेलवे स्टेशन क्षेत्र में भीख मांगकर गुजारा कर रहे दिव्यांग संतोष को याद नहीं कब पैर में चोट लग गई। उपचार नहीं होने से घाव नासूर बन गया। पैर में कीड़े मांस खाते बिलबिलाते असहनीय पीड़ा पहुंचा रहे थे। एक पैर पहले से नहीं और दूसरे में घाव से स्थिति बिगड़ने लगी... खाने तक के लाले पड़ गए। इंदौर के सेवाभावी उसे लेकर आए, उपचार कराया।
बीते दिनों रतलाम निवासी सामाजिक कार्यकर्ता मेघा श्रोत्रिय ने इंदौर के समाजसेवी जय्यू जोशी, करीम पठान, प्रियांशु पांडे से संपर्क किया। बताया कि पीड़ित अकेला है, पैर में घाव है... उसे मदद चाहिए। इस पर टीम रतलाम पहुंची। उसकी हालत दयनीय थी। पीड़ित संतोष को उपचार के लिए इंदौर लाए।
विकल्प पैर काटा - इंदौर आने के बाद डॉक्टर्स ने प्राथमिकता से उनका उपचार किया। घाव गेगरिन के कारण जानलेवा था, अंतत: उसका सड़ा हुआ पैर शरीर से अलग करना पड़ा। समय पर चिकित्सा से संतोष की स्थिति अब खतरे से बाहर है।
सोचा नहीं अब क्या होगा - संतोष खुश है... जान बची। हालांकि, दूसरे पांव के कट जाने से वह दु:खी है... कैसे काम चलेगा? परिवार में 40 वर्ष से कोई नहीं है। कामकाज आता नहीं। अभी तक स्थिति यह थी... जो मिल गया खा लिया, जहां जगह मिली सो गए। दोनों पैर न होने से मुश्किल आएगी।
करेंगे पुनर्वास की व्यवस्था - जय्यू ने कहा- संतोष चूंकि अब चल-फिर नहीं सकेगा, इसलिए उपचार के बाद उनके पुनर्वास की व्यवस्था सेवाभावी मिलकर करेंगे, ताकि संतोष अपनी आगे की जिंदगी आराम से जी सके।