सबसे बड़े स्पेस टेलीस्कोप से आज देखिए लाइव तस्वीरें

सबसे बड़े स्पेस टेलीस्कोप से आज देखिए लाइव तस्वीरें

 10 अरब डॉलर के जेम्स वेब स्पेस दुनिया के सबसे बड़े स्पेस टेलीस्कोप को अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने 25 दिसंबर, 2021 को लॉन्च किया था। तब से दुनियाभर की निगाहें इस टेलीस्कोप पर थीं कि आखिर यह ब्रह्मांड के कौन से रहस्य उजागर करने वाला है। 12 जुलाई 2022 वो दिन बनने जा रहा है जब यह स्पेस टेलीस्कोप पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी से ब्रह्मांड की कई गैलेक्सी, तारों और तारों के इर्द-गिर्द घूम रहे अब तक अंजाने रहे ग्रहों की तस्वीरें भेजेगा। यह टेलीस्कोप ब्रह्मांड की सुदूर गहराइयों में मौजूद आकाशगंगाओं, एस्टेरॉयड, ब्लैक होल्स, ग्रहों, एलियन ग्रहों, सौर मंडलों आदि की खोज करेगा। इस टेलीस्कोप को इस तरह बनाया गया है कि यह ब्रह्मांड में 13.5 अरब साल पहले हुई घटनाओं का पता लगा सकता है। शाम 4.30 बजे नासा में भारतीय मूल की वैज्ञानिक डॉ. हाशिमा हसन इस टेलीस्कोप को लेकर रीजनल साइंस सेंटर के प्रोजेक्ट कार्डिनेटर, साकेत सिंह कौरव से संवाद करेंगी। दर्शक साइंस सेंटर के यूट्यूब चैनल पर इसे देख सकते हैं। श्री साकेत ने कहा कि मेरी कोशिश होगी की बातचीत हिंदी में हो ताकि सभी जन इसे समझ सकें।

धरती से 15 लाख किमी की दूरी पर है ये टेलीस्कोप

दुनियाभर में इसका लाइव टेलीकास्ट 12 जुलाई को रात 8 से रात 9 बजे तक होगा। भोपाल के रीजनल साइंस सेंटर इस लाइव प्रसारण के लिए नासा से जुड़ेगा। जिसमें रजिस्टर हुए स्टूडेंट्स इसे यहां लाइव देख सकेंगे। इस अंतरिक्ष टेलीस्कोप को अंतरिक्ष में इंसान की आंख भी कहा जा सकता है। ये धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है और सूर्य पर नजर रख सकता है। यह सूर्य से एल-2 पाइंट की तरफ है। इसके पहले अंतरिक्ष में इतनी दूरी किसी टेलीस्कोप को तैनात नहीं किया गया था। इसे धरती के चारों तरफ सेकेंड लैरेंज प्वाइंट (एल2) पर तैनात किया गया है।धरती और सूर्य के बीच पांच लैरेंज प्वाइंट हैं। इन लैरेंज प्वाइंट पर गुरुत्वाकर्षण शक्ति का संतुलन बना रहता है।

ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने में मिलेगी मदद

खगोलविदों को उम्मीद है कि इसकी मदद से उन्हें तारों और ग्रहों के बनने की बिल्कुल नई और अनोखी जानकारी मिल सकेगी। यह टेलीस्कोप ब्रह्मांड का जन्म कैसे हुआ यह बता सकेगा। यह इतने सालों पहले पहली गैलेक्सी से लेकर पहले जन्में तारों तक की जानकारी दे सकेगा। साकेत सिंह कौरव, प्रोजेक्ट कार्डिनेटर, रीजनल साइंस सेंटर