तूर्यनाद हिंदी उत्सव में ध्रुवा बैंड ने सुनाए संस्कृत में कबीर के दोहे

तूर्यनाद हिंदी उत्सव में ध्रुवा बैंड ने सुनाए संस्कृत में कबीर के दोहे

बचपन से ही मैंने हिंदी गाने सुनें, अभिनय देखा व हिंदी को केंद्र मानकर ही जीवन को आगे बढ़ाया। जब मैं एनएसडी गया तो वहां अंग्रेजी पढ़ तो लेता था, लेकिन भाव हमेशा हिंदी से ही प्राप्त करता था। यह कहना था, बॉलीवुड एक्टर रघुबीर यादव का। वे मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) की राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा आयोजित तीन दिवसीय हिंदी महोत्सव तूर्यनाद 22 शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे। वहीं, आईएएस तरुण पिथोड़े ने स्कूल की वाद-विवाद प्रतियोगिता को याद करते हुए बताया कि भारत के लिए हिंदी का राष्ट्रभाषा होना महत्वपूर्ण है। इतिहास में विदेशियों के भारत रुख की वजह यहां की शिक्षा और शक्ति रही है। जब हम संस्कृति को पीछे छोड़ देते हैं तो हम खुद कमजोर हो जाते हैं।

संस्कृत बैंड परफॉर्मेंस पर झूमे श्रोता

ध्रुवा बैंड के डॉ. संजय द्विवेदी एवं साथ कलाकारों ने बैंड पर पारंपरिक एवं सांस्कृतिक संगीत को आधुनिकता से जोड़ कर प्रस्तुत किया तो उपस्थित श्रोताओं ने तालियों के साथ स्वागत किया। इस क्रम में कबीर के दोहे को बैंड पर संस्कृत में प्रस्तुत किया। डॉ. संजय द्विवेदी ने बताया कि 2015 को ध्रुवा संस्कृत बैंड की स्थापना की। उन्होंने बताया कि शुरूआत में शास्त्रीय गायन में उनका रुझान था, जिसका एक अलग हटकर श्रोता वर्ग है। धीरे-धीरे शास्त्रीय गायन के क्षेत्र में देश के कई हिस्सों में जाने का मौका मिला तो कई संस्कृतियों को करीब से देखा। महानगरों में फ्रेंच और रशियन बैंड की प्रस्तुति को देखकर कुछ अलग करने का मन बनाया। धीरे-धीरे तैयारियों के बीच संस्कृत बैंड की स्थापना का ख्याल मन में आया और इस बैंड की स्थापना की।

बैंड में हैं दस सदस्य

डॉ.द्विवेदी ने बताया कि बैंड की स्थापना के साथ ही इससे 10 सदस्य जुड़े हुए हैं। जो निरंतर देश भर में अपनी प्रस्तुतियां देते हैं। उनके द्वारा संस्कृत में मप्र गान तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि जब किसी संस्कृत गीत का संयोजन करते हैं तो उनकी पत्नी ज्ञानेश्वरी द्विवेदी उसे अपनी आवाज देती हैं। जिसके चलते उसके संचालन में कभी कोई परेशानी नहीं आई।