छह साल से कागजों पर 20 एकड़ जमीन अब बिजासन मंदिर की सड़क का फंसा पेंच

छह साल से कागजों पर 20 एकड़ जमीन अब बिजासन मंदिर की सड़क का फंसा पेंच

इंदौर। कहने को प्रदेश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट, सबसे ज्यादा उड़ानें और सबसे अधिक यात्री, सीधी इंटरनेशनल उड़ान और 24 घंटे खुला रहने वाला प्रदेश का एकमात्र एयरपोर्ट, लेकिन छह साल से विस्तार के लिए जमीन के लिए तरस रहा है। जी हां, यह इंदौर के देवी अहिल्याबाई होलकर एयरपोर्ट की वास्तविकता है। विभागों के बीच आपसी समन्वय के अभाव और राजनीति ने प्रदेश के सबसे बड़े एयरपोर्ट की ऊंची उड़ान पर रोक लगा दी है।

साल 2018 में प्रदेश सरकार ने उषाराजे ट्रस्ट से सुप्रीम कोर्ट में जो 20.4 एकड़ जमीन जीती थी और एयरपोर्ट प्रबंधन के मांगने पर उसे दे दी थी, आज 6 साल बीत जाने के बाद भी जमीन कागजों पर ही एयरपोर्ट प्रबंधन के नाम है। प्रबंधन उसका कब्जा पाने का इंतजार ही कर रहा है। इस जमीन को लेकर योजना बनाकर मुख्यालय से एक हजार करोड़ का फंड ले चुके एयरपोर्ट प्रबंधन से पैसा भी वापस ले लिया गया है। प्रबंधन अब खाली हाथ है। कोरोना के बाद एयरपोर्ट पर लगातार उड़ानें और यात्री संख्या बढ़ रही है। एक-दो साल में एयरपोर्ट छोटा पड़ने लगेगा।

जानकारी के अनुसार 2018 में ही अपने कार्यकाल की अंतिम कैबिनेट बैठक में शिवराज सरकार ने इस जमीन को प्रबंधन को देने का निर्णय लिया था। तब ही से एयरपोर्ट प्रबंधन इस जमीन पर कब्जा पाने के प्रयास में जुटा है। 2022 में प्रबंधन को जमीन के स्वामित्व का पत्र मिल गया था, लेकिन कब्जा नहीं मिल पाया । ये थीं योजनाएं जो धरी रह गईं- प्रबंधन ने बताया कि यहां पर जमीन मिलने पर यहां नया टर्मिनल भवन, कन्वेंशन सेंटर, प्रशासनिक भवन, होटल बनाने की योजना थी। इसके लिए एक हजार करोड़ का फंड भी मिला था, लेकिन बाद में मुख्यालय से यह फंड वापस ले लिया था। इसके अलावा रनवे का विस्तार एक प्रमुख काम था जो होना था। एटीसी भवन का निर्माण प्रबंधन ने शुरू करवा दिया है।

अब यह फंस गया पेंच

पिछले साल हुई एयरपोर्ट सलाहकार समिति की बैठक में बिजासन मंदिर जाने वाले रास्ते को सेंट्रल स्कूल के पास से निकालने की योजना बनी थी। यह सड़क जिला प्रशासन को बनाकर देनी थी। वहीं सेंट्रल स्कूल के पास नजूल की आठ एकड़ जमीन भी एयरपोर्ट अथॉरिटी को देने की बात चली, जिसका प्रस्ताव बनाकर प्रदेश सरकार को भेजा गया है। वहीं से मामला अटका है। वहीं, बिजासन मंदिर प्रबंधन मंदिर तक पहुंचने के लिए एक सुगम रास्ते की मांग कर रहा है। प्रबंधन यहां से एयरपोर्ट से एग्जिट और पार्किंग बनाना चाहता है, जिससे बिजासन मंदिर जाने का वर्तमान रास्ता बंद किया जाएगा। इसी पर आपत्ति है।

यह हुआ अब तक

  • 28 एकड़ जमीन प्रदेश सरकार ने उषाराजे ट्रस्ट से सुप्रीम कोर्ट में जीती। 
  • विमानतल प्रबंधन ने भविष्य को देखते हुए इसकी मांग की थी। 
  • सरकार ने इस पर योजना बनाकर देने के लिए कहा था। 
  • प्रबंधन ने होटल, कन्वेंशन सेंटर, नया टर्मिनल सहित एयरोसिटी की योजना बनाकर दी । 
  • शिवराज सरकार ने 2018 के शासनकाल की अंतिम कैबिनेट बैठक में जमीन विमानतल प्रबंधन को सौंपने को कहा था। 
  • सरकार ने जमीन के लिए एकमुश्त राशि और लीज के लिए भारी पैसा मांग लिया, लेकिन बाद में मुफ्त देने पर सहमति बनी। 
  • 20.4 एकड़ जमीन निकली डिजिटल मैपिंग में 
  • जमीन पर लगे पेड़ों को हटाने, शिफ्ट करने के लिए प्रबंधन ने सवा करोड़ का भुगतान किया। 
  • सांसद शंकर लालवानी ने तत्कालीन केंद्रीय आवास एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर से चर्चा कर केंद्र की अनुमति ली। 
  • प्रदेश सरकार से भी अनुमति मिलने के बाद सुपर कॉरिडोर के एक्सटेंशन के कारण जमीन अटक गई। 
  • सुपर कॉरिडोर का एक्सटेंशन तैयार होने के बाद भी जमीन नहीं दी गई। 
  • तत्कालीन एयरपोर्ट डायरेक्टर अर्यमा सान्याल के विदाई समारोह में सांसद ने एक सप्ताह में जमीन देने की बात कही थी। 
  • बिजासन मंदिर के लिए रोड बनाकर देने के कारण अब मामला अटका हुआ है।