रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे बैंड आर्टिस्ट, उधार व जेवर बेचकर कर रहे गुजर-बसर

रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे बैंड आर्टिस्ट, उधार व जेवर बेचकर कर रहे गुजर-बसर

जबलपुर । अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके बैण्ड आर्टिस्टों के सामने कोरोना काल का भारी असर पड़ा है। जिसके चलते उनकी माली हालत बहुत खराब है। मार्च माह से बैण्ड के आर्डर नहीं मिले,जिससे उनके सामने रोजगार की समस्या आ गई हैं। 5 माह से बैंड व्यवसाय पूरी तरह से ठप्प हो गया है। पूरा शादी का सीजन ऐसे ही निकल गया। जिसके कारण अब उन्हें उधार या फिर जेवरात बेचकर अपने परिवार का भरण- पोषण करने के लिए मजबूर होना पड़ा रहा है। जिले में करीब 100 से अधिक बैंड गु्रप हैं,और उनके अधीनस्थ 2 हजार से अधिक परिवारों का इससे गुजर-बसर होता है। विदित हो कि जिंदगी में नई पारी की शुरूआत बैंड बाजों के बिना अधूरी सी लगती है। किसी के घर में शादी हो और बैंड की धुन पर आज मेरे यार की शादी है, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, जैसे गाने न बजें, तो शादी की खुशियों में भी खालीपन लगता है। शादी में अपनी बेहतरीन धुनों पर लोगों को थिरकने पर मजबूर करने वाले बैंड संचालकों पर इस बार कोरोना काल का जबरदस्त असर पड़ा है। यह साल बैंड संचालकों के लिए भी बुरे सपने की तरह गुजर रहा है। उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। लॉकडाउन में शादियां तो हो रही हैं, लेकिन अब ना तो बारात निकल रही है और ना ही बैंड बजाने वाले नजर आ रहे हैं। मार्च माह के बाद से शादी विवाह समारोह में बैंड बजाने वाले लगता है कहीं खो गए हैं।

प्रशासन के सख्त निर्देश, न लिए जाएं आर्डर

बैंड संचालकों को जिला प्रशासन ने सख्त हिदायत दी है कि किसी भी कीमत पर गाने- बजाने का आर्डर ना लें इसके बावजूद कोई आदेश की अवहेलना करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं बैंड आर्टिस्टों ने जिला प्रशासन से आग्रह भी किया था कि कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंस के साथ 4 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी जाए। हालांकि बैंड संचालकों के इस आग्रह को प्रशासन ने सिरे से ठुकरा दिया है। इतना ही नहीं प्रशासन ने हिदायत दी है कि अगर किसी ने भी आदेश की अवहेलना की, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सिर्फ देश ही नहीं विदेशों में भी मचा रहे धूम

सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने बैंड की धूम मचाने वाले अंतरराष्ट्रीय बैंड आर्टिस्ट बताते हैं कि बीते कई माह के बाद से बैंड का व्यवसाय पूरी तरह से ठप्प हो गया है। कभी कोई छोटा-मोटा काम मिलता है, तो उसमें भी पुलिस प्रशासन के आदेश लागू हो जाते हैं। आर्थिक स्थिति डांवाडोल होने के बावजूद प्रशासन के नियमों का पालन कर रहे हैं। हालात यह हैं कि घर में जेवर-गहने बेचकर अब परिवार का पेट पालना पड़ रहा है। कोरोना संक्रमण ने इन आर्टिस्टों को भूखे मरने की कगार में लाकर खड़ा कर दिया है। आज बैंड का ना ही व्यापार बचा है, और ना ही किसी तरह से आमदनी हो रही है। ऐसे में बैंड के व्यवसाय से जुड़े यह कलाकार भूखे मरने की कगार में आ खड़े हुए हैं।

15 अगस्त, मुहर्रम और गणेश चतुर्थी में रहती थी चांदी

इस बार लॉकडाउन के चलते बैंड आर्टिस्ट की जिंदगी पर गहरा असर पड़ा है। कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन ने बैंड आर्टिस्टों की कमर ही तोड़ दी है। बैंड व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो गया हैं। इनकी दुकानों में सन्नाटा पसरा हुआ है। 15 अगस्त, मुहर्रम, गणेश चतुर्थी जैसे कई त्यौहारों पर भी बैंड आर्टिस्टों की चांदी होती थी, लेकिन अब प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार न तो जुलूस निकल रहे है ना ही एक जगह ये एकत्रित हो होकर बैंड बजा सकते है,क्योंकि अनुमति नहीं जिससे अब इनके सामने रोजी रोटी का संकट गहराता जा रहा है।