रक्षा उत्पाद निजी कंपनियों को सौंपना घातक होगा

रक्षा उत्पाद निजी कंपनियों को सौंपना घातक होगा

जबलपुर । आयुध निर्माणियों देश की सेना और जन-जन की सुरक्षा में आजादी के बाद से लगातार श्रेष्ठ दायित्व निभा रही हैं। केंद्र सरकार द्वारा निजीकरण और निगमीकरण करने की जो प्लानिंग है, वह घातक साबित होगी। रक्षा मंत्री ने 101 रक्षा उत्पादों के आयात पर रोक लगाई है, औद्योगिक घरानों को उपकृत करने की दिशा में एक कदम आने वाले समय में देश को बड़े संकट में डाल सकता है। आॅल इंडिया डिफेंस एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसएन पाठक ने इस संबंध में बताया कि गत 9 अगस्त को रक्षा मंत्री द्वारा 101 रक्षा उत्पादों के आयात पर रोक लगाई गई है।

रक्षा मंत्रालय को भेजा पत्र

आयात पर रोक लगाए गए रक्षा उत्पादों में फौरी तौर पर लगभग 21 ऐसे उत्पाद पाए गए हैं जो कि देशभर में फैली हुई 41 आॅर्डिनेंस फैक्ट्रियों द्वारा पहले से ही बनाए जा रहे हैं फिर भी उन का आयात किया जा रहा था। श्री पाठक ने बताया कि सभी उत्पादों की सूची तैयार कर एक विस्तृत पत्र इस संबंध में रक्षा मंत्री को आॅल इंडिया डिफेंस एम्पलाइज फेडरेशन द्वारा भेजा गया है।

इन हथियारों पर गहराएगा संकट

पत्र में विभिन्न उत्पाद जैसे कि स्नाइपर राइफल, धनुष, सारंग, अल्ट्रा लाइट होविटजसर, बुलेट प्रूफ जैकेट बैलेस्टिक हेलमेट, प्रहरी, तारपीडो लांचर, विभिन्न प्रकार के चार्ज, विभिन्न प्रकार के बम , पैराशूट, राइफल अपग्रेड सिस्टम, आॅटोमेटिक चार्ज, ट्रैक्टर, एलएमजी असाल्ट राइफल, सेल्फ प्रोपेल्ड गन, पिनाका इत्यादि तथा जिन आॅडनेंस फैक्ट्री में इनका उत्पादन होता है उनकी सूची भी सौंपी गई है।

340 कंपनियों के लाइसेंस जारी

फेडरेशन द्वारा सरकार से यह मांग की गई है कि यह सभी उत्पाद निजी क्षेत्रों को उत्पादन हेतु नहीं सौंपे जाने चाहिए, क्योंकि लगभग 340 कंपनियों के रक्षा उत्पादन लाइसेंस जारी किए गए हैं परंतु किसी भी कंपनी द्वारा रक्षा उत्पादन की शुरूआत नहीं की गई है। इज आॅफ डूइंग बिजनेस, के नाम पर सरकार द्वारा इन निजी कंपनियों को जिस तरह की सुविधाएं दी जा रही है उसे देखकर यह लगता है कि सरकार निजी कंपनियों पर बहुत ही ज्यादा मेहरबान है जबकि निजी रक्षा उत्पादन कंपनियां अभी तक अस्तित्व में ही नहीं आ पाई है।