अंटार्कटिका में बर्फ पर पड़ा मिला विशाल उल्कापिंड

अंटार्कटिका में बर्फ पर पड़ा मिला विशाल उल्कापिंड

वॉशिंगटन। अंटार्कटिक में एक विशाल उल्कापिंड मिला है। माना जा रहा है कि इसमें हमारे सौर मंडल की सबसे पुरानी सामग्री है। ये अब तक मिले सबसे बड़े उल्कापिंडों में से एक है। सूर्य और ग्रहों के विकास पर यह प्रकाश डालता है। इस उल्कापिंड का वजन 7.6 किग्रा है। अंटार्कटिक में इसे खोजना बहुत आसान था। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां हर ओर बर्फ ही बर्फ दिखाई देती है। इस उल्कापिंड का रंग काला है, जिसके कारण यह सफेद बर्फ पर बहुत ही आसानी से दिखाई दे रहा था। उल्कापिंड खोजने के लिए जंगल सबसे अच्छी जगह मानी जाती है। क्योंकि इन जगहों पर मौसम शुष्क और ठंडा रहता है, जो चट्टान को संरक्षित रखता है। न्यू साइंटिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक एक्टिव ग्लेशियर के नीचे भी कई उल्कापिंड दबे हो सकते हैं।

पिछली शताब्दी में मिले 45000 से ज्यादा उल्कापिंड

पछली शताब्दी में यहां 45,000 से ज्यादा उल्कापिंड मिले थे। हालांकि आकार की दृष्टि से सिर्फ 100 ही बड़े थे। ज्यादातर सूक्ष्म उल्कापिंड हैं, जिनका आकार कुछ सौ ग्राम ही होता है। सैटेलाइट इमेज का इस्तेमाल कर अभियान के सदस्य इसे खोजने में कामयाब रहे। एलिजाबेथ रिसर्च स्टेशन के पास पांच नमूने मिले हैं। स्विस फेडरल इंस्टिट्यूट ज्यूरिख की प्रोफेसर मारिया स्कोनबैकल का कहना है कि इस आकार का उल्कापिंड मिलना किसी सौभाग्य से कम नहीं है।

इनके भीतर छिपा है सौर मंडल का इतिहास

एक्स्पर्ट्स का कहना है कि अंतरिक्ष चट्टानें देखने में एकदम सामान्य लगती हैं, लेकिन इनके अंदर हमारे सोलर सिस्टम का इतिहास छिपा है। संभव है कि यह मंगल और बृहस्पति के बीच मौजूद एस्टेरॉयड बेल्ट से आए हों। उल्कापिंड की रासायनिक संरचना को नुकसान न हो इसलिए उसे एक ठंडे बॉक्स में रख कर सील कर दिया गया है। आगे की जांच के लिए इसे बेल्जियम की एक लैब में भेजा जाएगा। द फील्ड म्यूजियम शिकागो की डॉ मारिया वैलेड्स ने कहा, जब बात उल्कापिंड की आती है तो आकार महत्व नहीं रखता।