भारत में ईंधन की मांग सामान्य स्तर तक पहुंचने में 6-9 महीने लग सकते हैं: आईओसी

भारत में ईंधन की मांग सामान्य स्तर तक पहुंचने में 6-9 महीने लग सकते हैं: आईओसी

नई दिल्ली। इंडियन आयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के वित्त निदेशक एस के गुप्ता ने मंगलवार को कहा कि भारत में ईंधन की मांग सामान्य स्तर तक पहुंचने में छह से नौ महीने का समय लग सकता है, क्योंकि कई राज्यों में कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया गया है। कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान अप्रैल में पेट्रोल- डीजल की मांग में 45.8 प्रतिशत की गिरावट आई थी। लॉकडाउन के प्रतिबंधों में मई की शुरुआत से व्रच्च्मिक रूप से ढ़ील दी गई, लेकिन कई राज्य दैनिक संक्रमण को कम करने के लिए अभी भी लॉकडाउन लागू कर रहे हैं। गुप्ता ने पहली तिमाही के नतीजों पर चर्चा के लिए आयोजित एक निवेशक बैठक में कहा कि भारत और दुनिया भर में बढ़ते संव्रच्च्मण को देखते हुए सुधार के बारे में अनुमान लगाना मुश्किल है। उन्होंने कहा, ‘‘इसे सामान्य होने में छह से नौ महीने लग सकते हैं।’’ मई में ईधन की मांग में तेजी आने के बाद जून से ईंधन की मांग फिर घटने लगी। गुप्ता ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में 26,233 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की योजना है। इसमें लगभग 4,200 करोड़ रुपए रिफाइनरी उन्नयन और पाइपलाइन पर खर्च करने की योजना है। इसके अलावा 5,000 रुपए मार्केंिटग इन्फ्रास्ट्रक्चर पर, 2200 करोड़ रुपए पेट्रोकेमिकल परियोजनाओं पर और 5,000 करोड़ रुपए समूह कंपनियों पर खर्च करने की योजना है। उन्होंने कहा कि हम इस पूंजीगत व्यय को पूरा करना चाहते हैं, क्योंकि पहले से मंजूर पूंजीगत व्यय को टालने का कोई अर्थ नहीं। हम चाहते हैं कि सभी योजनाओं (अनुमोदित) को प्राथमिकता के आधार पर आगे बढ़ाया जाए।’’

कमजोर मांग से कच्चातेल वायदा कीमतों में गिरावट

कमजोर हाजिर मांग के कारण कारोबारियों ने अपने सौदों के आकार को कम किया जिससे वायदा कारोबार में मंगलवार को कच्चातेल की कीमत एक प्रतिशत की गिरावट के साथ 3,072 रुपए प्रति बैरल रह गई। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में कच्चातेल के अगस्त माह में डिलीवरी वाले अनुबंध की कीमत 31 रुपए अथवा एक प्रतिशत की हानि के साथ 3,072 रुपए प्रति बैरल रह गई जिसमें 3,973 लॉट के लिए कारोबार हुआ। कच्चातेल के सितंबर माह में डिलीवरी वाले अनुबंध की कीमत 30 रुपए अथवा 0.96 प्रतिशत की हानि के साथ 3,102 रुपए प्रति बैरल रह गई जिसमें 86 लॉट के लिए कारोबार हुआ।

खुदरा, थोक दोनों ग्राहकों को पेट्रोल-डीजल बिक्री लाइसेंस पाने को 500 करोड़ रुपए की नेटवर्थ जरूरी

नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को कहा कि खुदरा व थोक ग्राहकों को पेट्रोल तथा डीजल की बिक्री के लिए उदारीकृत लाइसेंस हासिल करने के लिये कम से कम 500 करोड़ रुपए नेटवर्थ वाली इकाई ही पात्र होगी। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने नवंबर, 2019 की उदारीकृत लाइसेंस व्यवस्था पर एक वक्तव्य में स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि 250 करोड़ रुपए नेटवर्थ तक की इकाई या तो थोक या फिर केवल खुदरा ग्राहकों को ही पेट्रोल ओर डीजल की बिक्री का लाइसेंस प्राप्त कर सकती है। बयान में कहा गया है कि जो इकाइयां खुदरा और थोक दोनों ग्राहकों को ईंधन बिक्री का लाइसेंस चाहती हैं उनका न्यूनतम नेटवर्थ आवेदन के समय 500 करोड़ रुपए होना चाहिए। पिछले साल सरकार ने गैर-तेल कंपनियों को इस कारोबार में उतरने की अनुमति देने को वाहन ईंधन के बिक्री कारोंबार के नियमों को उदार किया था। इससे निजी और विदेशी कंपनियों को दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते बाजार में उतरने में मदद मिलेगी। इससे पहले तक किसी कंपनी को भारत में ईंधन के खुदरा कारोबार के लिए लाइसेंस पाने के वास्ते हाइड्रोकॉर्बन खोज और उत्पादन, रिफाइंिनग, पाइलाइन या तरलीकृत गैसर् एनएलजीी टर्मिनल में 2,000 करोड़ रुपए का निवेश करने की शर्त थी।