पालकों ने नहीं ली बच्चों को स्कूल भेजने की रिस्क,नाममात्र की ही रही उपस्थिति

पालकों ने नहीं ली बच्चों को स्कूल भेजने की रिस्क,नाममात्र की ही रही उपस्थिति

जबलपुर ।  शासन ने 21 सितंबर से स्कूलों को खोलने का फरमान तो जारी कर दिया मगर पालकों ने बच्चों को स्कूल भेजने का रिस्क नहीं उठाया। नतीजतन स्कूलों में नाममात्र ही छात्रों की उपस्थिति रही। ज्यादातर स्कूलों में तो बच्चे नजर ही नहीं आए अलबत्ता टीचर्स जरूर हाजिर रहे। शहर के स्कूलों में बच्चों की कुल संख्या तो 50 हजार के करीब है मगर लॉक डाउन के बाद खुले स्कूलों में इनकी उपस्थिति प्वाइंट जीरो-जीरो वन भी नहीं रही। गौरतलब है कि कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए ही स्कूल खोले गए हैं। इनमें भी निजी स्कूल तो आॅन लाइन पढ़ाई करवा रहे हैं। वहीं शासकीय स्कूलों में विद्यार्थियों के लिए क्लास अनिवार्य नहीं की गई है। वे अपने डाउट टीचर्स से क्लीयर करने पहुंच सकते हैं। व छोटे समूहों में बैठकर अध्ययन कर सकते हैं। नियमित कक्षाएं नहीं लगेंगी। हालाकि शिक्षक जरूर नियमित रूप से पूरे समय स्कूलों में उपस्थित रहेंगे। स्कूल पहुंचने वाले बच्चों से पालकों का सहमति पत्र अनिवार्य किया गया है। निजी स्कूलों में तो एक भी बच्चा नहीं पहुंचा क्योकिं निजी स्कूल खोले ही नहीं गए। वे आॅन लाइन स्टडी करवा रहे हैं लिहाजा यहां शिक्षकों की भी छुट्टी रही। निजी स्कूलों के प्रबंधन ने इस संबंध में बैठक भी की है जिसमें वे अपनी अगली रणनीति तैयार कर रहे हैं।

रविवार को ये हुए थे आदेश जारी

रविवार को स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किए हैं जिसमें मानक संचालन प्रक्रिया एसओपी के पालन करने के निर्देश जारी किए गए हैं इसमें कहा गया है कि स्कूल खुलेंगे लेकिन कक्षाएं लगाना अनिवार्य नहीं है। अभिभावकों से सहमति पत्र भरवाकर छात्र शिक्षकों से मार्गदर्शन लेने स्कूल आ सकते हैं। विद्यार्थियों को अलग-अलग समय पर बुलाकर शिक्षक मार्गदर्शन दे सकेंगे। विभाग के उप सचिव प्रमोद सिंह ने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि प्रदेश के किसी भी स्कूल में नियमित कक्षाओं का संचालन नहीं किया जाएगा। स्कूलों में 50 फीसदी शिक्षक व स्टाफ मौजूद रहेंगे।

कहां कितने बच्चे दिखे

60 छात्र-छात्राएं पहुंचे पं लज्जाशंकर मॉडल स्कूल।

5 बच्चे पहुंचे महाराष्ट हाईस्कूल

2 बच्चे पहुंचे दीक्षितपुरा हाईस्कूल

7 छात्राएं पहुंची एमएलबी

3 छात्र पहुंचे कमला नेहरू स्कूल