हजार बिस्तर का अस्पताल में नहीं मिल रही प्राइवेट वार्ड की सुविधा

हजार बिस्तर का अस्पताल में नहीं मिल रही प्राइवेट वार्ड की सुविधा

ग्वालियर। पॉटरीज की जमीन पर जीआरएमसी प्रबंधन ने 394 करोड़ रुपए की लागत से बने हजार बेड के अस्पताल में मरीजों की ओपीडी एवं आईपीडी तो प्रारंभ कर दी है, लेकिन यहां अस्पताल की जब प्लानिंग की थी तब यहां पर प्राइवेट अस्पतालों के लिए मरीजों के लिए प्राइवेट वार्ड की सुविधा देने की थी।

अस्पताल को शुरू हुए करीब तीन महीने से अधिक का समय बीत गया है, लेकिन यहां पर मरीजों के लिए बने प्राइवेट वार्ड प्रारंभ नहीं किए गए हैं, दूसरी ओर अस्पताल में कई वार्ड फुल होने के कारण मरीजों को जमीन पर लेटकर उपचार कराना पड़ रहा है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा एब्लॉक में करीब 100 कमरे से अधिक का प्राइवेट वार्ड बनाए है, लेकिन इसकी सुविधा मरीजों व उनके अटेडरों को नहीं मिल पा रही है। हालांकि जेएएच समूह के कमलाराजा अस्पताल में इस तरह के प्राइवेट वार्ड (रूम) की सुविधा मिल रही है, लेकिन इस नवनिर्मित अस्पताल में यह सुविधा कब तक मिल पाएगी यह कहा नहीं जा सकता है।

इसके पीछे अस्पताल प्रबंधन का हर बार की तरह स्टाफ की कमी का रोना रोता नजर आ रहा है प्रबंधन का कहना है कि नए स्टाफ की भर्ती के बाद व्यवस्थाएं बेहतर हो जाएंगी। अभी एक दिन पहले ही आर्थोपेडिक वार्ड में स्ट्रेचर न मिलने से मरीज के परेशान होने का वीडियो वायरल होने के बाद अस्पताल समूह के अधीक्षक डॉक्टर आरकेएस धाकड़ ने आर्थोपेडिक वार्ड का निरीक्षण कर व्यवस्थाएं सुधारने के निर्देश दिए।

मेडिसिन सर्जरी वार्ड बदले जाएं, हो रही परेशानी

हजार बिस्तर के अस्पताल में केवल मरीज ही नहीं बल्कि अब अस्पताल के डॉक्टर भी परेशान हो रहे हैं। इसी की वजह से अस्पताल के ही सर्जरी विभाग के सीनियर डॉक्टर एवं प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ने सुधार की गुहार सोशल मीडिया के माध्यम से की है। डॉक्टर अग्रवाल का कहना है कि हजार बिस्तर के अस्पताल में स्थानांतरण के समय मेडिसिन एवं सर्जरी विभाग के 2, 3,4,5 और 6 फ्लोर के वार्डों को जहां स्थापित किया गया है वह कार्य सुविधा एवं आवागमन के लिए कतई व्यावहारिक नहीं है और तर्क संगत भी नहीं है।