कोरोना संकट पर भारी भाई-बहन के प्यार का रक्षाबंधन पर्र्व उत्साह के साथ मनाया

कोरोना संकट पर भारी भाई-बहन के प्यार का रक्षाबंधन पर्र्व उत्साह के साथ  मनाया

जबलपुर । भाई-बहनों का स्नेह का पर्व रक्षाबंधन शहर में कोरोना संकट पर भारी नजर आया। जहां एक ओर सार्वजनिक परिवहन के साधन बंद रहे,बाहर से आने वाले भाई और बहनों पर पाबंदियां रहीं इसके बावजूद निजी संसाधनों से एक दूसरे तक स्नेह के धागे पहुंच ही गए। वहीं सोशल मीडिया ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए कहीं ई-राखी तो कहीं वीडियो कॉलिंग के जरिए भाई-बहनों ने इस त्योहार को उमंग और उत्साह के साथ मनाया। सावन के अंतिम सोमवार और रक्षाबंधन का पवित्र योग इस बार 29 साल बाद आया है। मंगलवार से भादों का महीना लग जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस बार सुबह 9.32 बजे तक भद्रा काल रहा। इसके बाद बहनों ने भाईयों की कलाई पर राखी बांधी। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र सुबह 7.26 बजे तक रहा। इसके बाद श्रवण नक्षत्र लग गया और पूरे दिन रहा। इस बार रक्षा बंधन पर सर्वार्थ सिद्धि,अमृत दीर्घायु आयुष्मान योग के शुभ संयोग के सा थ ही सूर्य,शनि के समसप्तक योग,सोमवती पूर्णिमा,मकर का चंद्रमा,श्रवण नक्षत्र,उत्तरषाढ़ा नक्षत्र और प्रीति योग बना। बताया जाता है इन सब के शुभ संयोग का यह योग 36 सालों बाद बना है।

ऐसे हुआ पूजन

रक्षाबंधन के दिन सुबह से ज्यादातर परिवारों में सुबह जल्दी स्नान कर देवी-देवताओं का पूजन,पितरों के लिए धूप-ध्यान के उपरांत पीले रेशमी वस्त्र में सरसों,केसर,चंदन,चावल,दूर्वा और अपनी सामर्थ्य के अनुसार सोना या चांदी रखकर धागे से रक्षा सूत्र बनाए गए। इसके बाद घरों के मंदिरों में कलश की स्थापना की गई। उस पर रक्षासूत्र रखा गया औरविधिवत पूजन की गई।

9.32 बजे के बाद राखी बांधी

राखी बांधने के लिए 9बजकर 32 मिनट के उपरांत का समय शुभ बताया गया था। इसके अनुसार ही हर परिवार में रक्षा बंधन मनाया गया। जिन परिवारों में भाई-बहन साथ हैं उन्होंने इसे साथ मनाया मगर जिन परिवारों के भाई बाहर हैं या बहनें बाहर हैं तो वे वीडियो कॉलिंग पर एक दूसरे से संपर्क में रहे। ई-राखी का चलन भी कई जगह देखा गया।

दिव्यांगों औरअसहायों को बांधी राखी

शहर की संस्था ह्यूमिनिटी आर्गनाइजेशन के अभिनव चौहान,अनिल रैकवार, उमेश सबरे, स्नेहलता सबरे, रजत पिपरे और ऋचा चौकसे ने शहर में अलग-अलग स्थानों पर घूमकर दिव्यांगों,भिखारियों और मोचियों को राखी बांधकर अपनत्व का परिचय दिया। संस्था क ऋचा चौकसे ने बताया कि हम लोग हर साल यह काम करते हैं। इससे इस वंचित वर्ग को आत्मीय बल मिलता है और हमें भी एक अच्छे काम करने का संतोष मिलता है।

मेट्रो बसों का सहारा भी नहीं मिल पाया

रक्षाबंधन के दिन बहनों को मेट्रो बसों का सहारा भी नहीं मिल पाया। कोरोना संक्रमण के चलते इस समय केवल 20 बसें ही संचालित हो रही हैं जिससे इनके 5 रूटों पर इक्का-दुक्का बसें ही चल रही हैं। बहनों को भाईयों तक पहुंचने के लिए अपने निजी साधनों से ही आना-जाना पड़ा।

जेल में बंदी भाईयों को राखी नहीं बांध पाई बहनें

कोरोना महामारी ने इस बार नेताजी सुभाषचंद्र बोस सेंट्रल जेल में बंदी भाईयों का बहनें राखी नहीं बांध पार्इं। जेल के बाहर रक्षाबंधन के दिन मैदान में चहल पहल की जगह सन्नाटा पसरा रहा। हालांकि कुछ बहनें जेल पहुंची जिनकी राखियां बाहर ही यह कहते हुए ले ली गई कि आपके भाई तक पहुंचा दी जाएंगी। इस संबंध में जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार ने बताया कि कोरोना संकटकाल में जिस तरह से महामारी फैल रही, पाजिटिव मामले सामने आ रहे है, उन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा का दायरा और भी सख्त कर दिया गया है। जेल में इन दिनों मुलाकात पर पूरी तरह से प्रतिबंध  लगा दिया गया है। यहां तक कि रक्षा बंधन के दिन भी बहनों को जेल आने से रोक दिया गया। बहनें जेल में बंद अपने भाईयों को राखी नहीं बांध पाई। जेल पहुंची बहनों की राखियां बाहर ही गेट पर जमा करा ली गई, लिफाफे पर नाम लिखा गया, हालांकि बहनों को इस बात का अफसोस रहा कि वे त्यौहार के मौके पर भाईयों से मुलाकात तो हो जाती है। लेकिन इस बार यह भी संभव नहीं हो सका।  जेल अधीक्षक श्री ताम्रकार ने आगे कहा कि इस तरह का निर्णय कोरोना संकटकाल को देखते हुए लिया गया है, आने वाले वक्त में कोरोना संकटकाल समाप्त हो जाएगा तो फिर उत्सवी माहौल में त्यौहार मनाने का मौका दिया जाएगा, इस परम्परा को फिर से शुरू किया जाएगा।