राजधानी में सात डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव, दो नवजात भी संक्रमित

राजधानी में सात डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव, दो नवजात भी संक्रमित

भोपाल। राजधानी में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। शनिवार को मप्र में 808 मामले आए। वहीं भोपाल में 168 पॉजिटिव मरीज मिले। इनमें से 7 डॉक्टर व दो नवजात शामिल हैं। भोपाल जिले में पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़कर 6,992 हो गई है। वहीं 6 लोगों की मौत भी हुई। इससे जिले में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 176 हो गया है। जो डॉक्टर पॉजिटिव मिले हैं, उनमें ई-6 अरेरा कॉलोनी के 2 डॉक्टर, शहीद नगर के एक, गाधी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के एक, हमीदिया अस्पताल के असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट, ओम हॉस्पिटल पद्भनाभ नगर के एक तथा चिरायु अस्पताल के एक डॉक्टर शामिल हैं। इसके अलावा चिरायु अस्पताल के गर्ल्स हॉस्टल में रहने वाली स्टूडेंट व एक अन्य अधिकारी, जेपी अस्पताल तथा एम्स का एक-एक मरीज भी पॉजिटिव निकले हैं। वहीं भाजपा कार्यालय में काम करने वाला 25 वर्षीय युवा भी कोरोना की चपेट में आ गया है।

इधर, इंदौर में 92 वर्षीय डॉ. दवे ने कोरोना को दी मात

इधर, 92 वर्षीय बुजुर्ग डॉ.एसएस दवे कोरोना को मात देकर शनिवार को घर लौटे। डॉ. दवे जनरल फिजीशियन रह चुके हैं। बड़नगर में 85 वर्ष की आयु तक उन्होंने लोगों का इलाज किया। बुखार होने पर उन्हें इंदौर लाया गया था, यहां कोरोना जांच में उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उन्हें एमटीएच अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में उन्हें पांच एंटी वायरल डोज दिए गए, साथ ही ब्रीथिंग एक्सरसाइज करवाई गई, जिससे वे स्वस्थ हो गए। एमटीएच की प्रभारी अधिकारी डॉ. अनुपमा दवे व्यवस्थित ट्रीटमेंट एवं सकारात्मक रवैये के कारण उन्होंने यह जंग जीती। डॉ. दवे द्वारा 92 साल की उम्र में कोरोना को हराना बड़ी बात है।

16-16 दिन के दो बच्चे भी संक्रमित

शनिवार को जो नए मरीज मिले, इनमें छोला दशहरा मैदान क्षेत्र में एक परिवार के 16-16 दिन के दो ट्विन्स (बच्चे) पॉजिटिव निकले हैं। इनको मां के जरिए संक्रमण हुआ है। बता दें कि 10 साल कम उम्र के बच्चों और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना संक्रमण होने की ज्यादा संभावनाएं रहती हैं। ऐसे में इस उम्र के लोगों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है।

मरीजों की मदद करने वाले बर्वे का निधन

इंदौर में विशेष हॉस्पिटल के प्रबंधक शैलेन्द्र बर्वे का कोरोना के चलते निधन हो गया। उनका इलाज चल रहा था। कुछ दिन पहले ही हॉस्पिटल के एक डॉक्टर से वे संक्रमित हो गए थे। प्रशासन ने विशेष हॉस्पिटल को यलो की श्रेणी में रखा था।