कोराना काल के बाद एशिया में निवेश के लिहाज से सबसे बेहतर भारतीय शेयर बाजार

चीन से बेहतर बना भारत, सेंसेक्स का प्रदर्शन सबसे अच्छा

कोराना काल के बाद एशिया में निवेश के लिहाज से सबसे बेहतर भारतीय शेयर बाजार

नई दिल्ली। आर्थिक मोर्चों पर चीन से एक के बाद एक आ रही बुरी खबरों ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इन खबरों से इस बात को भी बल मिल रहा है कि भारतीय शेयर बाजार कोरोना काल के बाद के दौर में एशिया में निवेश के लिहाज से सबसे बेहतर साबित हो रहे हैं। साल 2020 के आखिर से भारत के बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स ने लोकल करंसी (रुपए) में सालाना 14% का रिटर्न दिया है। एशिया में करीब 82 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की इकोनॉमी में जितने भी इंडेक्स हैं, उनमें सेंसेक्स का परफॉर्मेंस सबसे बेहतरीन रहा है। भारतीय बाजार तीन साल से लगातार स्थिर रिटर्न दे रहा है, जबकि चीन में कभी-कभार आने वाली तेजी हमेशा रिटर्न देने में विफल रही है। अमेरिकी डॉलर के लिहाज से भी भारतीय बाजार सबसे बेहतर परफॉर्म कर रहे हैं। इसी अगस्त में जहां दुनियाभर की इक्विटी में 5% से ज्यादा की गिरावट आई, भारतीय बाजार में 2.1% की गिरावट दर्ज की गई।

चीन के बाजार 50% तक गिरे, तो भारत में 25% बढ़े :

मई 2021 में चीन में विदेशी निवेश अपने चरम पर था। तब वहां 12 महीनों में 300 बिलियन डॉलर आए थे। इससे 3 महीने पहले चीन का इंडेक्स भी अधिकतम ऊंचाई पर पहुंचा था। भारत में भी उस समय निवेश चरम पर था, लेकिन इसकी रμतार चीन का 10वां हिस्सा ही थी। अब हालात बदल चुके हैं। तब से चीन के बाजार 50% तक गिर चुके हैं। वहीं, भारत में 25% की बढ़त दर्ज हुई है।

कोरोना के बाद उम्मीद पर खरा नहीं उतरा चीन

भारतीय बाजार में तेजी का दौर चीन की तुलना में बिल्कुल उलट है। कोरोना महामारी के कारण होने वाली मौतों के मामले में चीन का रिकॉर्ड बाकी दुनिया से बेहतर रहा था। इसके लिए उसकी खूब वाहवाही भी हुई। इससे उम्मीद जताई जा रही थी कि महामारी के बाद एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बेहतर ग्रोथ दिखाएगी।

2020-40 के बीच देश में 4 करोड़ वर्क फोर्स

आईफोन प्रोडक्शन अब भारत में शिμट हो रहा है। कई अन्य वैश्विक कंपनियां भी अब चीन से भारत का रुख कर रही हैं। ब्लूमबर्ग के अनुमान के मुताबिक, 2020 से 2040 के बीच भारत में सेकंडरी एजुकेशन हासिल कर चुके 4 करोड़ लोगों का वर्क फोर्स सामने आएगा। वहीं, चीन और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में इसी टाइम पीरियड में करीब 5 करोड़ लोग रिटायर होंगे। युवाओं की अधिक संख्या भारत के सामने बेरोजगारी की चुनौती भी खड़ी करती है, लेकिन साथ ही यह देश के लिए बहुत बड़ा अवसर भी है। भारत के पास एक और एडवांटेज यह है कि इसकी इकोनॉमी चीन की तुलना में कंज्यूमर डिमांड से ज्यादा ड्राइव होती है। चीन की ग्रोथ प्रोफाइल अब विकसित देशों जैसी हो रही है, जहां आगे बढ़ने की रμतार धीमी है।