मप्र से 30 हजार अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए, 5 ही बने आईएएस

मप्र से 30 हजार अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए, 5 ही बने आईएएस

भोपाल । मप्र से बीते 5 साल में इक्का-दुक्का युवक ही आईएएस बन सके हैं, जबकि हर साल 30 हजार से ज्यादा छात्र यूपीएससी की परीक्षा देते हैं। वर्ष 2019 की यूपीएससी की परीक्षा में मप्र के मूल निवासियों में एक दर्जन युवाओं ने परीक्षा पास की, लेकिन इनमें से मात्र 5 ही आईएएस की सूची में आ सके हैं। बकाया आईपीएस, आईएफएस सहित अन्य सेंट्रल सर्विस परीक्षा पास कर नौकरी पाने में सफल रहे हैं। मध्यप्रदेश आईएएस संवर्ग में 417 पद स्वीकृत हैं और कुल 354 अधिकारी पदस्थ हैं, इनमें से 24 आईएएस केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं। इस तरह 63 पद खाली पडेÞ हुए हैं। यह स्थिति मप्र कैडर में केंद्र से आईएएस कम मिलना है। साथ ही यूपीएससी की परीक्षा में भी मप्र से इतने आईएएस नहीं निकल पा रहे है, जबकि राजस्थान, यूपी, दिल्ली, बिहार सहित पश्चिम बंगाल से ज्यादा आईएएस निकल रहे हैं। 2019 की यूपीएससी की परीक्षा में मप्र से केवल पांच लोग ही आईएएस बन सके हैं और अन्य सेवाओं को मिलकर एक दर्जन अधिकारी बनने में सफल रहे हैं।

 ये बन सके आईएएस

वर्ष 2019 की यूपीएससी की परीक्षा में अनमोल जैन भोपाल, प्रदीप सिंह इंदौर, निधि बंसल कैलारस, आयुषी जैन सिरोंज, अनिल राठौर मुरैना आईएएस बनने में सफल रहे हैं, जबकि अभिनव चौधरी गरोठ, आशुतोष गर्ग कालापीपल, संदीप पटेल हटा, महीपाल सिंह गुर्जर मुरैना, अरुण सिंह तोमर रौन और प्रतीक सिगोतिया छपारा अन्य सेवाओं के लिए सिलेक्ट हुए हैं।

                                                   

कोचिंग संस्थानों की कमी 

मप्र में उतने उत्कृष्ट क्वालिटी के कोचिंग सेंटर नहीं है, प्रोफेसरों की भी कमी है। सरकारी कॉलेजों में पढ़ाई भी गुणवत्ता युक्त नहीं हँै, जो छात्र अपने दम पर पढ़ाई करते हैं, वे यूपीएससी की परीक्षा में सिलेक्ट हो जाते हैं। छात्रों को इंटरव्यू फेस करना भी नहीं आता, इसलिए मप्र से कम आईएएस निकल पाते हैं। डीएस राय, पूर्व जीएडी सचिव एवं आईएएस