मस्क-जुकरबर्ग समेत 5 सबसे रईसों ने हर घंटे कमाए 100 करोड़ से ज्यादा

मस्क-जुकरबर्ग समेत 5 सबसे रईसों ने हर घंटे कमाए 100 करोड़ से ज्यादा

वाशिंगटन। अमेरिकी संस्था आॅक्सफैम इंटरनेशनल की रिपोर्ट बताती है कि साल 2020 से लेकर अब तक एलन मस्क समेत 5 अरबपतियों की संपत्ति 114 फीसदी बढ़ी है। इन्होंने हर घंटे 1.4 करोड़ डॉलर यानी 116 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई की है। इसके उलट गरीब और गरीब हुए हैं। इतने ही सालों में 5 अरब लोग गरीब भी हुए हैं। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगर अमीरों की संपत्ति इसी तरह बढ़ती गई, तो अगले 10 साल में दुनिया को पहला खरबपति मिल जाएगा। साथ ही जिस रμतार से गरीबी बढ़ रही है, उसे खत्म होने में 230 साल का वक्त लगेगा। आॅक्सफैम हर साल असमानता पर ये रिपोर्ट जारी करती है। अमीरों के दुनिया की 43 फीसदी संपत्ति : रिपोर्ट के मुताबिक, पांच अमीर व्यक्तियों के पास साल 2020 में 405 अरब डॉलर (करीब 34 लाख करोड़ रुपए) की संपत्ति थी, जो अब बढ़कर 869 अरब डॉलर (करीब 72 लाख करोड़ रुपए) हो गई है। सबसे अमीर 1 फीसदी लोगों के पास दुनिया की 43 फीसदी संपत्ति है। इनके पास मिडिल ईस्ट में 48 फीसदी, एशिया में 50 फीसदी और यूरोप में 47 फीसदी संपत्ति है।

खर्च करने में लगेंगे 476 साल

आॅक्सफैम की रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि पांच सबसे अमीर व्यक्ति हर दिन अगर 10 लाख डॉलर भी खर्च करें तो उनकी संपत्ति खत्म होने में 476 साल लग जाएंगे। आॅक्सफैम की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया की 148 बड़े कॉपोर्रेट ने एक साल में 1.8 ट्रिलियन डॉलर (करीब 150 लाख करोड़ रुपए) का मुनाफा कमाया है। ये मुनाफा इन कॉर्पोरेट ने जुलाई 2022 से जून 2023 के बीच कमाया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि इनमें से 96 कॉर्पोरेट ऐसे थे, जिन्होंने अपने हर 100 डॉलर के मुनाफे में से 82 डॉलर अमीर शेयरहोल्डर्स को दे दिया।

दुनिया के 80 करोड़ मजदूरों की नहीं बढ़ी दिहाड़ी

आॅक्सफैम की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में ज्यादातर लोग असुरक्षित और अनिश्चित नौकरियों में ज्यादा और कठिन काम कर रहे हैं। 80 करोड़ से ज्यादा कामगारों को मिलने वाली दिहाड़ी भी महंगाई के बावजूद बढ़ी नहीं है। इस हिसाब से बीते दो साल में 80 करोड़ कामगारों को लगभग 1.5 ट्रिलियन डॉलर (124 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान उठाना पड़ा है।

टैक्स चुकाने से बचते हैं अमीर लोग

आॅक्सफैम की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में कॉर्पोरेट टैक्स भी कम हो गया है। 1980 के दशक में जहां दुनियाभर में औसतन 27 फीसदी कॉर्पोरेट टैक्स लगता था, वो अब घटकर 17 फीसदी के आसपास हो गया है। लेकिन, इसके बावजूद अमीर टैक्स चुकाने में बचते हैं।