बच्चे बने सॉफ्ट टारगेट, धोखा खा रहे वर्चुअल दुनिया के दोस्तों से

बच्चे बने सॉफ्ट टारगेट, धोखा खा रहे वर्चुअल दुनिया के दोस्तों से

भोपाल। कोविड-19 पैंडेमिक के समय शुरू हुई ऑनलाइन क्लासेस ने बच्चों का सोशल मीडिया के प्रति लगाव भी बढ़ा दिया। ऐसे में यह सॉμट टारगेट भी हैं। वर्चुअल दुनिया में बने दोस्तों के बहकावे में कई टीनएजर के अपना घर छोड़ने के मामले सामने आए हैं। चाइल्ड लाइन के आंकड़ों पर गौर करें, तो जनवरी से जून तक सिटी और रेलवे चाइल्ड लाइन के पास ऐसे 52 मामले पहुंचे हैं। इनमें भोपाल या बाहर से भोपाल पहुंचे बच्चों ने सोशल मीडिया या अन्य वर्चुअल प्लेटफॉर्म की वजह से घर छोड़ दिया। एक ऐसा ही चर्चित मामला सामने आया, जब 8 साल का बच्चा रील्स देखकर गुरुदक्षिणा देने निकल पड़ा। उसने गुरुदक्षिणा देने के लिए सोने की चेन भी ले ली थी। बाद में बच्चे को रेलवे चाइल्ड लाइन ने रेस्क्यू किया और घर पहुंचाया।

केस-1  भोपाल की रहने वाली किशोरी की चैटिंग मैसेंजर के जरिए एक युवक से हुई। कुछ बातों से आपत्ति होने पर किशोरी ने उसे ब्लॉक कर दिया लेकिन दोनों में फिर बात होने लगी। युवक के बहकावे में किशोरी घर से रुपए, ज्वेलरी लेकर निकल गई। युवक उसके पैसे-ज्वेलरी लेकर गायब हो गया।

केस-2  उत्तर प्रदेश का रहने वाला किशोर, भोपाल की युवती से फेसबुक पर प्रेम कर बैठा। वह युवती को ऑनलाइन गिμट भी भेजता था। भोपाल में रह रही प्रेमिका से मिलने की चाह में किशोर बिना उसे बताए सरप्राइज देने भोपाल चला आया, लेकिन यहां युवती ने उसे फटकार लगा दी।

पैसे खत्म, इश्क भी खत्म

दिल्ली से सोशल मीडिया पर एक चैट के जरिए एक दूसरे के संपर्क में आए 15 वर्षीय किशोर और 17 वर्षीय किशोरी एक-दूसरे से प्रभावित होकर चार हजार रुपए लेकर भोपाल पहुंच गए। असल जिंदगी से जब सामना हुआ, तो प्यार का नशा फुर्र हो गया। दोनों ने बताया कि पैसे खत्म होते ही उनके बीच झगड़े होने लगे। दोनों एक-दूसरे को सोशल मीडिया से बिल्कुल अलग नजर आए। इन सभी मामलों में बच्चों की काउंसलिंग कर उन्हें परिवार को सुपुर्द कर दिया गया।

बच्चों के घर छोड़ने के कई कारण हैं। माता-पिता को चाहिए कि वह बच्चों से लगातार संवाद करते रहें। साइबर क्राइम के प्रति भी बच्चों को सचेत करने की जरूरत है। - दिव्या दुबे मिश्रा, काउंसलर