वित्तीय संकट से निपटने के लिए नए रास्ते तलाश रही मध्य प्रदेश सरकार

वित्तीय संकट से निपटने के लिए नए रास्ते तलाश रही मध्य प्रदेश सरकार

भोपाल। कोरोना संकट की वजह से आर्थिक तंगी से जूझ रही शिवराज सरकार अब वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए बजट के बाहर से भी राशि का इंतजाम करेगी। वैसे केंद्र सरकार से मिलने वाले फंड में पहले के दो माह कमी आई थी, लेकिन जुलाई और अगस्त में इसकी पूर्ति कर दी गई है। केंद्र ने अभी तक मप्र को 33 हजार करोड़ रुपए जारी किए है। उधर, विभिन्न योजनाओं का संचालन करने बजट से बाहर फंड की जुगाड़ लगाने की जुगत में सरकार भिड़ गई है। कोरोना संक्रमण की वजह से प्रदेश को स्वयं और केंद्र के करों से होने मिलने वाली राशि में कमी आई है। केंद्र से अप्रैल-मई माह में 13 हजार करोड़ की राशि मिली थी, लेकिन जुलाई और अगस्त में इसकी पूर्ति करते हुए केंद्र ने मप्र को 33 हजार करोड़ की राशि जारी कर दी है। इसका असर बजट पर भी पड़ा है। लोक निर्माण, जल संसाधन, चिकित्सा शिक्षा सहित आठ विभागों को छोड़कर किसी को भी प्रतिमाह स्वीकृत बजट का 10 फीसद से ज्यादा हिस्सा खर्च करने की अनुमति नहीं है। पिछले साल की आर्थिक मंदी और इस साल कोरोना संकट से प्रदेश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। जिसके कारण 2020- 21 के बजट में 28 हजार करोड़ की कटौती की गई है। इन सुझावों पर होगा काम भोपाल के मिंटो हॉल में दो दिन की वैकल्पिक वित्तीय व्यवस्था को लेकर कार्यशाला भी हुई थी। इसमें बांड जारी करने, लोक निर्माण विभाग के रेस्ट हाउस निजी क्षेत्र को देने, अनुपयोगी सरकारी जमीनों का व्यावसायिक उपयोग करने, निजी क्षेत्र में मंडी स्थापित करने के सुझाव आए थे। इनमें निजी क्षेत्र में मंडी खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।