एस्ट्रोनॉमी और हिस्ट्री को रोचक बनाते हुए वैल्यू एडेड कोर्सेज को बढ़ावा दे रहे एजुकेटर्स

इतिहास को पढ़ाने के तरीके पर लिखे जा रहे टीचिंग मॉड्यूल, एनपीटेल के जरिए फ्री कोर्सेस किए जा रहे प्रमोट

एस्ट्रोनॉमी और हिस्ट्री को रोचक बनाते हुए वैल्यू एडेड कोर्सेज को बढ़ावा दे रहे एजुकेटर्स

 एक सच्चा शिक्षक समाज को सही दिशा देने का काम करता है और उसके पढ़ाए सबक छात्र आजीवन याद रखते हैं यदि वो छात्रों को देश की तरक्की में योगदान देने योग्य बना पाते हैं, ऐसे ही कई शिक्षक हैं जो सीधे तौर पर टीचर के पद पर नहीं हैं, लेकिन हर दिन बच्चों के बीच रहकर विज्ञान, इतिहास और इंजीनियरिंग के विषयों में लगातार नया सीखने के लिए छात्रों को प्रेरित कर रहे हैं। इनमें से कोई एनसीईआरटी के लिए टीचिंग मॉड्यूल बना रहा है, ताकि इतिहास को बोरिंग से रोचक बनाया जा सके, तो कोई एस्ट्रॉनोमी व कोर साइंस में बच्चों को कॅरियर बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, वहीं कोई ऑनलाइन कोर्सेस के जरिए योग्यता बढ़ाने के लिए प्रेरित। टीचर्स डे के मौके पर जानिए शहर के ऐसे ही एजुकेटर्स की कहानी।

नासा और इसरो के वैज्ञानिकों से मिलवा रहे हैं

विज्ञान में रुचि तभी जागती है , जब सही शिक्षक मिले जो बच्चों को रोजमर्रा के जीवन में विज्ञान की झलक दिखाए। जब मैं साइंस सेंटर भोपाल आया तो लगा कि बच्चों के साथ सीधे संवाद स्थापित करूं इसलिए मैं नासा के नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिकों व इसरो के वैज्ञानिकों से बच्चों को लाइव इंटरेक्ट कराता हूं। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप अंतरिक्ष में तैनात अब तक का सबसे बड़ा टेलीस्कोप है, जिसकी लाइव तस्वीरें सीधे नासा से कनेक्ट करके बच्चों को दिखार्इं और नासा वैज्ञानिकों ने खुद इसके बारे में भोपाल के बच्चों को अवगत कराया। एस्ट्रोनॉमर कार्ल सेगन से प्रभावित होकर मैं काम कर रहा हूं। मेरा बचपन प्रदेश के नरसिंहपुर के करेली के पास के गांव में बीता। बचपन में तारों की दुनिया ने मेरी विज्ञान में रुचि जगाई। मैंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में जूनियर रिसर्च फैलो के रूप में एस्ट्रोनॉमी रिसर्च में काम किया और फिर जर्मनी में इंटर्नशिप के दौरान पहली बार म्यूनिख में साइंस म्यूजियम देखा तो महसूस हुआ कि विज्ञान को बच्चों तक पहुंचाने की दिशा में काम करना चाहिए। साकेत सिंह कौरव, आरएससी, प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर

एनसीईआरटी टीचर्स के लिए लिखे मॉड्यूल

इतिहास को रोचक तरीके से पढ़ाना जरूरी है तभी अपने देश और दुनिया को जान सकेंगे। बिना इतिहास जाने किसी भी विषय की गहराई में उतरना मुश्किल होता है। यही वजह है कि मैंने हाल में एनसीईआरटी में कक्षा 10 वीं के इतिहास के दो टॉपिक ग्लोबलाइजेशन और नेशनलिज्म इन यूरोप पर टीचिंग मॉड्यूल डेवलप किए हैं, ताकि टीचर्स जान सकें कि इन टॉपिक्स को अपने आसपास की दुनिया से कनेक्ट करके किस तरह पढ़ाना है। मसलन ब्रिटिश हिस्ट्री की बात करें तो इस विषय पर बनीं फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री से इसे रोचक तरीके से समझा जा सकता है। मैंने भोपाल के एमएलबी कॉलेज से हिस्ट्री में मास्टर्स किया और मुझे गोल्ड मेडल भी मिला क्योंकि मैंने इतिहास को किताबों से अलग भी पढ़ा-समझा था। इसके बाद मैंने ऑक्सफोर्ड से ब्रिटिश हिस्ट्री में समर कोर्स किया और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया। मृणालिनी पांडे, एजुकेटर व राइटर

स्टूडेंट्स अब एनपीटेल वाले सर कहते हैं

नेशनल प्रोग्राम ऑन टेक्नोलॉजी एनहांस्ड लर्निंग(एनपीटेल) भारत सरकार के पोर्टल के लिए भोपाल चेप्टर का जिम्मा जब मुझे एलएनसीटी कॉलेज में मिला तो छात्रों को आईआईटी व आईआईएससी बैंगलुरू द्वारा संचालित ऑनलाइन कोर्सेस के लिए मोटिवेट करना आसान नहीं था, तब मुझे लगा कि पहले मैं कोर्स करता हूं ताकि फिर छात्रों को एडवांस कोर्स को करने के लिए कह सकूं । छात्रों ने देखा कि सर खुद कोर्स कर रहे हैं तो उन्होंने इसका महत्व समझा और कोर्स करने लगे। मैं आज 40 से ज्यादा ऑनलाइन कोर्स कर चुका हूं और लगभग मेरे साथ 3000 स्टूडेंट्स एनपीटेल कोर्स कर चुके हैं। अब स्टूडेंट्स मुझे एनपीटेल वाले सर कहते है। प्रो.अमितबोध उपाध्याय, एसपीओसी, नेपटेल