नेशनल गेम्स में गोल्ड दिलाने वाली हॉकी कोच खेतों में कर रही मजदूरी

नेशनल गेम्स में गोल्ड दिलाने वाली हॉकी कोच खेतों में कर रही मजदूरी

रांची। पूरी दुनिया ने रविवार को आदिवासी दिवस मनाया। लेकिन आदिवासी बहुल झारखंड राज्य में ही इस समुदाय की प्रतिभाएं उपेक्षा की शिकार हो रही हैं। राज्य को स्वर्ण सहित कई पदक दिला चुकी एक आदिवासी हॉकी कोच खेतों में मजदूरी करने को मजबूर है। सिमडेगा के बोलबा प्रखंड स्थित कुंदुरमुंडा गांव की तारिणी कुमारी कहती हैं कि राज्य के लिए कड़ी मेहनत से अर्जित इतनी उपलब्धियों के बाद भी मुझे 2 वक्त की रोटी के लिए मजदूरी करनी पड़ रही है।

श्रेष्ठ कोच का मिला था पुरस्कार

तारिणी की कोचिंग में 2018 में 8वीं हॉकी इंडिया जूनियर वीमेंस नेशनल चैंपियनशिप में झारखंड की महिला टीम ने पहली बार स्वर्ण पदक जीता था। इस उपलब्धि के लिए तारिणी को हॉकी झारखंड की ओर से श्रेष्ठ कोच के सम्मान से सम्मानित किया गया था।