6 दशक की 450 गेंहू की किस्मों से निकाली जाएगी लो-ग्लूटेन वैरायटी

जेएनके विवि के वैज्ञानिक करेंगे देश भर से आई किस्मों की स्क्रीनिंग, 50 लाख के प्रोजेक्ट को हरी झंड़ी

6 दशक की 450 गेंहू की किस्मों से निकाली जाएगी लो-ग्लूटेन वैरायटी

जबलपुर। देश भर में पिछले 6 दशक में विकसित की गई गेंहू की 450 किस्मों में से जवाहरलाल नेहरू कृषि विज्ञान विवि के कृषि वैज्ञानिक लो-ग्लूटेन की वैरायटी की खोज करेंगे। तीन साल तक चलने वाले प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए विवि को नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन ने हरी झंडी दे दी है। पौध प्रजनन एवं अनुवांशिकी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं संचालक प्रक्षेत्र डॉ. आरएस शुक्ला एवं खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एसएस शुक्ला ने बताया कि दोनों विभाग के समन्वय में यह अनुसंधान किया जाएगा। इसके लिए हम देश भर में विभिन्न संस्थानों द्वारा विकसित गेंहू की किस्मों से लो-ग्लूटेन को आईडेंटीफाई करेंगे। साथ लो- ग्लूटेन की क्वॉलिटी को भी देखा जाएगा।

ग्लूटेन की ज्यादा मात्रा कई बीमारियों की जड़

एनएससीबी मेडिकल कॉलेज जबलपुर के मेडिसन विभागाध्यक्ष डॉ. प्रशांत पुणेकर ने बताया गेंहू में ग्लूटेन प्रोटीन के रूप में पाया जाता है। जिन लोगों में प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। उनमें यह गेस्ट्रो एलर्जी की तरह काम करता है जिन्हें यह एलर्जी होती है यह उनकी आंतों में इफेक्ट करता है। साथ ही लंबे समय से पेट दर्द, वजन कम होना, गैस की शिकायत होना शरीर में ग्लूटेन की मात्रा अधिक होने से भी होती है।

गठित की कमेटी

विवि के प्रभारी डीआरएस डॉ. जेपी लखानी ने बताया कि इसके लिए कुलपति प्रो. मिश्रा ने वैज्ञानिकों की कमेटी गठित कर दी है। इसमें जबलपुर, सागर व पवारखेड़ा के वैज्ञानिक शामिल हैं।

नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन से प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिल गई है। इस शोध से आम जनता को फायदा होगा व चिन्हित किस्म का एक्पोर्ट बढ़ेगा। प्रो. डॉ. प्रमोद कुमार मिश्रा जेएनके विवि जबलपुर