SC ने कहा- भ्रामक ऐड रोके पतंजलि, वरना हर प्रोडक्ट पर 1 करोड़ जुर्माना

रामदेव की कंपनी को एलोपैथी के खिलाफ विज्ञापनों पर फटकार

SC ने कहा- भ्रामक ऐड रोके पतंजलि, वरना हर प्रोडक्ट पर 1 करोड़ जुर्माना

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को कई रोगों के संबंध में अपनी दवाओं के बारे में विज्ञापनों में झूठे और भ्रामक दावे करने के खिलाफ मंगलवार को चेतावनी दी। कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, पतंजलि आयुर्वेद के ऐसे सभी झूठे और भ्रामक विज्ञापनों को तुरंत रोकना होगा। दो जजों की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद से कहा कि वह चिकित्सा की आधुनिक पद्धतियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित ना करें। यदि गलत दावा किया जाता है, तो पीठ प्रत्येक उत्पाद पर 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने पर भी विचार कर सकती है। पतंजलि ने पिछले साल जुलाई में ऐड दिया था, जिसमें कहा था कि एलोपैथिक के फायदे नहीं दिखे हैं।

क्या है मामला?

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पतंजलि ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल,स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है।

बदला था बयान

रामदेव ने ऐलोपैथी की दवाओं को कोरोना के इलाज में विफल बताया था। विरोध में 1 जून 2021 को डॉक्टरों ने काली पट्टी बांध कर काम किया था। विवाद को देख रामदेव ने कहा था कि उनका बयान दवा माफिया के खिलाफ है।

मामले को एलोपैथी बनाम आयुर्वेद की बहस नहीं बनने दें:

केस की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया कि पतंजलि आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में उसके ओर से इस तरह के कैजुअल स्टेटमेंट नहीं दिए जाएं। इसके साथ ही पीठ ने इस मुद्दे को एलोपैथी बनाम आयुर्वेद की बहस नहीं बनाने की भी हिदायत दी गई।

पूर्व सीजे के बेंच ने भी की थी टिप्पणी :

इससे पहले पूर्व सीजेआई एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था, स्वामी रामदेव बाबा को क्या हुआ है?...हम उनका सम्मान करते हैं क्योंकि उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया। लेकिन, उन्हें दूसरी पद्धति की आलोचना नहीं करनी चाहिए। इसकी क्या गारंटी है कि आयुर्वेद, जो भी पद्धति वह अपना रहे हैं, वह काम करेगी?

दवाओं पर लगा था बैन

साल पहले उत्तराखंड सरकार ने पतंजलि की 5 दवाओं के प्रोडक्शन पर बैन कर दिया था। उत्तराखंड की आयुर्वेद और यूनानी लाइसेंस अथॉरिटी के मुताबिक इन दवाओं के विज्ञापन भ्रामक थे। ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, गॉयटर, ग्लूकोमा और हाई कोलेस्ट्रॉल के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं पर बैन लगाया था। इनके नाम हैं बीपी ग्रिट, मधुग्रिट, थाइरोग्रिट, लिपिडोम और आईग्रिट गोल्ड थे।

रामदेव के विवादित बयान

ऐलोपैथी स्टुपिड और दिवालिया साइंस है... लाखों लोगों की मौत ऐलोपैथी की दवा खाने से हुई है। 1 हजार डॉक्टर कोरोना की दोनों वैक्सीन लगाने के बावजूद मर गए। अपने आप को नहीं बचा पाए वो कैसी डॉक्टरी।

( रामदेव के यह बयान कोरोना की दूसरी लहर में साल 2021 में आए थे। इन बयानों के बाद देश भर में डॉक्टरों ने विरोध किया था )