पार्षद का चुनाव लड़ने पर देना होगा खर्च का ब्यौरा, पहली बार हो रही ऐसी व्यवस्था

पार्षद का चुनाव लड़ने पर देना होगा खर्च का ब्यौरा, पहली बार हो रही ऐसी व्यवस्था

भोपाल। प्रदेश में पार्षद का चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थियों को अब खर्च का ब्योरा भी राज्य निर्वाचन आयोग को देना होगा। इसके नियम नगरीय विकास विभाग ने दो साल पहले लागू कर दिए थे, लेकिन निकाय चुनाव अब होने जा रहे हैं, इसलिए पार्षदों को पहली बार खर्च का हिसाब देना होगा। 75 हजार से लेकर 8.75 लाख रुपए तक की खर्च सीमा तय की गई है।

पार्षद के लिए अधिकतम खर्च सीमा

नगर निगम

???? 10 लाख से अधिक जनसंख्या - 8.75 लाख

???? 10 लाख से कम जनसंख्या - 3.75 लाख

नगर पालिका

???? 1 लाख से अधिक जनसंख्या- 2.50 लाख

???? 50 हजार से 1 लाख की आबादी- 1.50 लाख

???? 50 हजार से कम जनसंख्या - 1.00 लाख

???? नगर परिषदों के लिए सीमा - 75 हजार

महापौर के लिए नहीं हुआ बदलाव

10 लाख से अधिक की जनसंख्या वाले नगर निगमों में महापौर का चुनाव लड़ने पर 35 लाख रुपए खर्च सीमा होगी। वहीं 10 लाख से कम जनसंख्या वाले निगमों में व्यय सीमा अधिकतम 15 लाख रुपए तय की गई है।

पहली बार पार्षद के व्यय पर होगी नजर

पहले खर्च की कोई सीमा तय नहीं थी, इसलिए पार्षद पद के उम्मीदवार अनाप-शनाप खर्च करते थे। चुनाव खर्च का हिसाब भी नहीं देते थे। राजनीतिक दलों की मांग पर पार्षदों की खर्च सीमा तय की गई है। अब इन्हें भी चुनाव में खर्च का ब्योरा प्रस्तुत करना होगा। इसके लिए रिटर्निंग आॅफिसर कार्यालय में डेस्क स्थापित होगी, जिसमें व्यय लेखा संधारण पर्यवेक्षण किया जाएगा। - बीपी सिंह, आयुक्त, राज्य निर्वाचन आयोग

आपराधिक रिकॉर्ड भी प्रस्तुत करना होगा

प्रदेश में पंचायत चुनाव के दौरान जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य, सरपंच और पंच पद के अभ्यर्थियों को नाम निर्देशन पत्र के साथ, बिजली बिल बकाया नहीं होने, सक्षम अधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र तथा अभ्यर्थियों के आपराधिक रिकॉर्ड, शैक्षणिक योग्यता के संबंध में शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा।