वाटर हार्वेस्टिंग: 15 साल से अनिवार्य पर शहर में सैकड़ा भी पार नहीं हो पाया

वाटर हार्वेस्टिंग: 15 साल से अनिवार्य पर शहर में सैकड़ा भी पार नहीं हो पाया

जबलपुर। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2007-08 से नगर निगम सीमा में वर्षा जल संचयन प्रणाली यानि वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य किया हुआ है। इसके लिए हर भवन का नक्शा पास करने से पहले निर्धारित राशि भी जमा कराई गई,मगर हैरत की बात यह है कि 15 साल बाद भी शहर के भवनों में यह आंकड़ा 100 तक भी नहीं पहुंच पाया। इससे समझा जा सकता है कि भू-जल को नीचे जाने से रोकने के लिए नगर निगम कितना गंभीर है। 2 साल पहले सांसद राकेश सिंह ने दिशा की बैठक में जब एक सप्ताह का अल्टीमेटम अधिकारियों को दिया तो तत्काल ही नगर निगम ने शहर के 30 तकनीकी विशेषज्ञों की सूची जारी कर दी जिनसे संपर्क कर लोग अपने घरों में इस प्रणाली को स्थापित करवा सकेंगे। इस निर्णय से उम्मीद बढ़ी थी कि वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली लगवाने के लिए लोग जागरूक होंगे,मगर ऐसा नहीं हुआ।

क्या है वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

बारिश के मौसम में जो पानी बरसता है वह बह कर सीधे नालियों के रास्ते से चला जाता है। आजकल ज्यादातर जगह सीमेंटेड होती है लिहाजा यह जल जमीन के अंदर नहीं जा पाता। वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली में भवन निर्माण के समय ड्रम के आकार का गड्ढा खोदा जाता है जिसमें रेत,कोयला व नमक डालकर इसमें छत की पाइप लाइन लाकर जोड़ दी जाती है। इससे वर्षा जल इस गड्ढे के माध्यम से जमीन के अंदर जाता है और भू-जल स्तर नीचे नहीं जा पाता।

न करवाने का क्या है कारण

इस प्रणाली के लगवाने से किसी को भी एतराज नहीं है,मगर इस प्रणाली को लगाने के लिए भवन स्वामियों को न तो किसी एजेंसी का पता है और न ही कोई कंसलटेंट ही है। ऐसे में लोग लगवाना चाहते हुए भी इस सिस्टम को नहीं लगवा पाते। वहीं जिम्मेदारों की अरुचि भी इस प्रणाली को लगने में बाधक बनी हुई है।

ये भी एक रास्ता हो सकता है

नगर निगम ने तकनीकी विशेषज्ञों के नंबर व पते तो सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करवा दिए हैं मगर इसमें यदि वह चाहे और जिन भवन स्वामियों की राशि उसके पास जमा है,उनके निर्माणों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने के लिए इनमें से जिम्मेदार लोगोें को सिस्टम लगवाने के लिए अधिकृत कर सकता है। इससे न सिर्फ तेजी से घरों में वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित हो जाएगी अपितु भू-जल स्तर को भी नीचे जाने से जल्द बचाया जा सकेगा।

6 करोड़ से ज्यादा राशि जमा

इन 15 सालों में नगर निगम ने जितने भी नक्शे पास किए उनमें से 12 सौ फीट से ऊपर के हर निर्माण के लिए निर्धारित राशि जमा करवा ली गई। नियमानुसार यदि भवन स्वामी वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली लगवा लेता है और इसके फोटोग्राफ्स प्रस्तुत करता है तो भवन शाखा का कर्मचारी जाकर इसे वेरीफाई करता है और जमा की गई राशि वापस मिल जाती है। न तो किसी भवन स्वामी ने यह सिस्टम लगवाया और न ही राशि वापस क्लेम की। इस तरह नगर निगम के खजाने में इस मद के साढ़े 5 करोड़ रुपए से अधिक राशि जमा हो गई है।

फैक्ट फाइल

  •  05 हजार निर्माण हर साल हुए औसत 
  • 06 करोड़ रुपए वाटर हार्वेस्टिंग के जमा 
  • 89 भवनों में ही लग पाया सिस्टम 
  • 10 से 20 हजार रुपए का है औसत खर्च सिस्टम लगवाने में 
  • 30 तकनीकी विशेषज्ञों के नंबर व पते अब सार्वजनिक किए गए

वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली लगवाने में अब नए भवनों पर फोकस किया जाएगा वहीं जो भवन बन चुके हैं उनमें भी इस प्रणाली को लगवाने के लिए लोगों से संपर्क किया जाएगा। अजय शर्मा, भवन अधिकारी, ननि