अडाणी-हिंडनबर्ग केस: सेबी ने जांच के लिए 15 दिन का और वक्त मांगा

अडाणी-हिंडनबर्ग केस: सेबी ने जांच के लिए 15 दिन का और वक्त मांगा

नई दिल्ली। सेबी ने सोमवार को अडाणीहिंड नबर्ग मामले की जांच पूरी करने और अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए सुप्रीम कोर्ट से 15 दिन का और समय मांगा है। यह दूसरी बार है, जब सेबी ने कोर्ट से इस मामले की जांच के लिए अतिरिक्त समय मांगा है। सेबी ने बताया कि वह अडाणी ग्रुप के 24 ट्रांजेक्शन की जांच कर रही है, जिसमें से 17 की जांच पूरी हो चुकी है। इसके साथ ही अन्य रेगुलेटर्स और दूसरे देशों से और जानकारी मांगी गई है। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त को करेगा।

पहले सेबी ने मांगा था 6 महीने का समय

2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक कमेटी बनाई थी और सेबी को भी जांच के लिए 2 महीने का समय दिया था। मार्केट रेगुलेटर को 2 मई तक रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन सेबी की ओर से कोर्ट में पेश सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान 6 महीने की मोहलत मांगी थी।, बेंच ने 6 माह का समय देने से इनकार कर दिया था। बेंच ने कहा था कि हमने 2 महीने का समय दिया था और अब अगस्त तक बढ़ा दिया है। यानी सेबी को 5 माह का समय मिल चुका है।

सुप्रीम कोर्ट ने बनाई थी 6 सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जो कमेटी बनाई थी, उसके हेड रिटायर्ड जज एएम सप्रे हैं। उनके साथ इस कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं।

19 मई सार्वजनिक हुई थी रिपोर्ट 

सुप्रीम कोर्ट की कमेटी जांच रिपोर्ट 19 मई को सार्वजनिक कर चुकी है। कमेटी ने कहा था कि अडाणी के शेयरों की कीमत में कथित हेरफेर के पीछे सेबी की नाकामी थी, अभी इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता।

एक्सपर्ट कमेटी द्वारा दी गई रिपोर्ट में यह था

कमेटी ने रिपोर्ट में कहा कि सेबी को संदेह है कि अडाणी ग्रुप में निवेश करने वाले 13 विदेशी फंडों के प्रमोटर्स के साथ संबंध हैं।

अडाणी ग्रुप के शेयरों में वॉश ट्रेड का कोई भी पैटर्न नहीं मिला है। वॉश ट्रेड यानी वॉल्यूम बढ़ाने के लिए खुद ही शेयर खरीदना और बेचना।

कुछ संस्थाओं ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिश होने से पहले शॉर्ट पोजीशन ली थी। जब शेयर के भाव गिरे तो इसे खरीदकर मुनाफा कमाया।

सेबी को इन 2 पहलुओं पर जांच करने के लिए कहा था...

♦ क्या सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स के नियम 19 (अ) का उल्लंघन हुआ?

मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग से जुड़ा है नियम 19 (अ) कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स का नियम 19 (अ) शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनियों की मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग से जुड़ा है। भारतीय कानून में किसी भी लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25% शेयरहोल्डिंग पब्लिक यानी नॉन इनसाइडर्स की होनी चाहिए।

♦ क्या मौजूदा कानूनों का उल्लंघन कर स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ?

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी विदेश में शेल कंपनियों को मैनेज करते हैं। इनके जरिए भारत में अडाणी ग्रुप की लिस्टेड और प्राइवेट कंपनियों में अरबों डॉलर ट्रांसफर किए गए। इसने अडाणी ग्रुप को कानूनों से बचने में मदद की।