पत्नी ने कहा था मेरी तरह चित्रकार बनिए, फिर कड़ी मेहनत कर इस मुकाम तक पहुंचा

पत्नी ने कहा था मेरी तरह चित्रकार बनिए, फिर कड़ी मेहनत कर इस मुकाम तक पहुंचा

बहुत कम उम्र में नौकरी करना शुरू की, कुछ समय बाद घरवालों ने गीता से शादी करवा दी, लेकिन आमदनी कम थी, घर खर्च अधिक थे, हमेशा नौकरी के लिए इधर-उधर परेशान रहता था। एक दिन पत्नी ने बोला कि मेरी तरह चित्रकार बन जाइए, लेकिन मुझे चित्रकारी नहीं आती थी, तब पत्नी ने कहा मैं आपको सिखाऊंगी, उसी दिन से चित्रकार बनने के लिए कड़ी मेहनत की और आज जीवन पूरी तरह बदल चुका है। यह कहना था, भील चित्रकार मुकेश बारिया का, जिनकी मध्यप्रदेश में पहली बार एग्जीबिशन लगी है। 15 साल से चित्रकारी कर रहे मुकेश के भील चित्र 200 रुपए से लेकर 35 हजार तक में बिकते हैं। जनजातीय संग्रहालय में 45वीं शलाका चित्र प्रदर्शनी में 30 जनवरी तक इनके चित्रों को देखा और खरीदा जा सकता है। इनके चित्रों में पशु- पक्षी, पेड़-पौधे एवं अपने पास-पड़ोस के वातावरण की झलक प्रमुखता से दिखाई देती है।

पेंटिंग सीखने में लगे पांच महीने

मुकेश को भील पेंटिंग सीखने में पांच महीने लगे। मुकेश ने बताया कि सबसे पहले पत्नी ने बटर पेपर पर स्केच बनाने के लिए कहा। इस काम को मैंने एक महीने किया। इसके बाद उन्होंने मेरे हाथ में ब्रश और रंग थमाए और बटर पेपर पर यह काम थोड़ा मुश्किल था। इस काम को मैंने चार महीने किया। फिर मैंने अपनी शैली में भील चित्र बनाना शुरू किया। एक छोटी पेंटिंग तीन-चार घंटे में बन जाती है, लेकिन एक बड़ी पेंटिंग को बनने में 18 से 20 दिन लगते हैं।

भील पिथौरा पेंटिंग है सबसे खास

भील चित्रकारी के बारे में मुकेश बताते हैं कि इसमें पिथौरा बनाया जाता है। इसको भील पिथौरा पेंटिंग कहते हैं। इसमें पूजा-पाठ से संबंधित चीजें बनाई जाती हैं। इसमें सबसे खास घोड़ा होता है। इस एग्जीबिशन में एक पेंटिंग ऐसी है, जिसमें देवता की पूजा करने के लिए क्या-क्या चीजें लगती हैं उसको दर्शाया गया है। मुकेश कहते हैं मेरी 12 साल की बेटी है, जिसकी उच्च शिक्षा के लिए हम दोनों काम कर रहे हैं।

देश के कई राज्यों में लग चुकी एग्जीबिशन

मुकेश बारिया ने बताया कि उनकी सबसे पहले एग्जीबिशन दिल्ली में लगी थी। उसके बाद बैंगलुरू, हैदराबाद, मैसूर में एग्जीबिशन लग चुकी है। यह पहली बार है जब मध्यप्रदेश में एग्जीबिशन लगी है। वहीं मुकेश बताते हैं कि उनकी पत्नी गीता की पेंटिंग एग्जीबिशन बैंगलुरू, मैसूर, कोलकता, हैदराबाद, चेन्नई, छत्तीसगढ़, राजस्थान में लग चुकी हैं। गीता घर में जाकर भी भील पेंटिंग करती हैं, जिसका वह हजार रुपए पर स्क्वायर फीट चार्ज करती हैं।