3 घंटे से ज्यादा मोबाइल या कंप्यूटर के इस्तेमाल से मायोपिया, भेंगापन व ड्राई आई जैसी समस्या

3 घंटे से ज्यादा मोबाइल या कंप्यूटर के इस्तेमाल से मायोपिया, भेंगापन व ड्राई आई जैसी समस्या

भोपाल। कोरोना संक्रमण के चलते बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ा है। अधिकांश बच्चे 4 से 5 घंटे तक ऑनलाइन कलास अटेंड कर रहे हैं। मनोरंजन के लिए भी डिजिटल गैजेट्स का सहारा लेते हैं। इससे बच्चों में मायोपिया (दूर की चीजें देखने में दिक्कत) भेंगापन, ड्राई आई जैसी समस्या बढ़ने के आसार हैं। क्योंकि 3 घंटे से ज्यादा समय स्क्रीन को देखते हुए बिताना खतरनाक है। यह कहना है भोपाल की जानी-मानी आई स्पेशलिस्ट डॉ. विनीता रामनानी का। उन्होंने बताया कि स्क्रीन टाइम बढ़ने से आंखों की रोशनी पर असर पड़ता है, जिससे डिजिटल स्ट्रेन, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, उग्रता, भी बढ़ रही है। डॉ. रामनानी बताती है कि उनके पास इस समय आखों में जलन, ड्रायनेस, सिरदर्द और चश्मे के बढ़ते नंबर की समस्या के केस ज्यादा आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि चीन में जिन बच्चों को चश्मा लगा होता है, उन्हें क्लास में नहीं बल्कि नैचुरल लाइट में पढ़ाया जाता है, जिससे चश्मे का नंबर न बढ़े। समय के साथ बढ़ जाते हैं लक्षण : आंखों में खिंचाव, थकावट, तनाव, दर्द, रुखापन, खुजली, धुंधला दिखना एवं सिरदर्द डिजिटल स्ट्रेन के लक्षण हैं, जो सुबह कम होते हैं, मगर शाम तक बढ़ जाते हैं।