‘उर्जित पटेल के कार्यकाल में रिजर्व बैंक को हो गई थी यू-टर्न की आदत’
नई दिल्ली। पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने अपनी किताब वी ऑलसो मेक पॉलिसी में कहा है कि रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल के कार्यकाल में केंद्रीय बैंक को चुनावी बॉन्ड और डिजिटल भुगतान समेत विभिन्न मुद्दों पर पूरी तरह से टर्न लेने की आदत हो गई थी। यह किताब ‘वित्त मंत्रालय कैसे काम करता है?’ इस पर एक अंदरुनी सूत्र के हवाले से दिया गया विवरण है।
कुछ मामलों में एकतरफा फैसले लिए गए : रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर पटेल के बयान का हवाला देते हुए गर्ग ने अपनी किताब में कहा है कि रिजर्व बैंक ने चुनावी बांड के मुद्दे पर और भुगतान नियामक बोर्ड (पीआरबी) के गठन के मामले में यू टर्न लिया था। गर्ग ने किताब में लिखा है कि आरबीआई ने भुगतान प्रणाली में भागीदारी के लिए पूर्ण डेटा स्थानीयकरण का आदेश देने जैसे एकतरफा फैसले भी किए। उन्होंने कहा कि हमने विनम्रतापूर्वक आरबीआई को बताया कि रिपोर्ट (पीआरबी पर) सर्वसम्मति से थी। यदि कोई असहमति थी, तो इसे रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले सलाह किया जाना चाहिए था। हम खुशी- खुशी असहमति नोट को रिपोर्ट के हिस्से के रूप में शामिल करते और आरबीआई द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर प्रत्युत्तर प्रदान करते।
अंतर-मंत्रालयी समूह की सिफारिशों पर कार्रवाई नही
गर्ग ने कहा कि सरकार ने मेरे अंतर- मंत्रालयी समूह की सिफारिशों पर कोई कार्रवाई नहीं की। इन सिफारिशों में देश में भुगतान संरचना को बदलने की क्षमता थी। हालांकि आरबीआई कुछ सिफारिशों पर काम कर रहा है, लेकिन अभी भी एक अच्छा प्रायोगिक नियामक सैंडबॉक्स नहीं तैयार किया है। आरबीआई के पेपर में कहा गया है कि उसने एनबीएफसी और अन्य निजी संस्थाओं के लिए भुगतान स्थान खोलने का प्रस्ताव दिया है।
जून 2017 से जुलाई 2019 तक का संभाला पद
गर्ग, जिन्होंने 21 जून, 2017 और 25 जुलाई, 2019 के बीच आर्थिक मामलों के सचिव के रूप में कार्य किया, ने भारत सरकार के वित्त सचिव के रूप में भी कार्य किया। उनके पास किसानों के लिए एमएसपी, चुनावी बॉन्ड पेश करने, बैंकों के पुनर्पूंजीकरण और 6 हवाई अड्डो के मुद्रीकरण की राजनीति से निपटने का अनुभव है। हालांकि, उनके कार्यकाल में विवादास्पद मुद्दा मिंट स्ट्रीट और नॉर्थ ब्लॉक के बीच संबंध था।
जान बूझ कर कर्ज लौटाने वालों को राहत नहीं, संपत्ति होगी जब्त: आरबीआई
देश के बैंकिंग सेक्टर में फंसे कर्जे (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स- एनपीए) का स्तर भले ही पिछले एक दशक के सबसे न्यूनतम स्तर पर आ गया है, लेकिन एनपीए को घटाने की कोशिश में आरबीआई की तरफ से कोई ढिलाई के संकेत नहीं है। एक तरफ केंद्रीय बैंक ने सभी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, वित्तीय संस्थानों और एनबीएफसी को निर्देश दिया है कि अगर किसी ग्राहक की परिसंपत्ति को कर्ज नहीं चुकाने की वजह से प्रतिभूति कानून (SARFAESI E¢MX) के तहत जब्त किया गया है तो उसके सारी जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए। यह साफ किया गया है कि केंद्रीय बैंक की तरफ से निगमति हर बैंक या वित्तीय संस्थान को इस तरह की परिसंपत्तियों, कर्ज लेने वाले ग्राहक, उसकी गारंटी देने वाले व्यक्ति, ग्राहक व गारंटी देने वाले व्यक्ति का पता, बकाया राशि, उसकी कर्ज की स्थिति आदि की विस्तृत जानकारी ऑनलाइन भी देनी होगी।