बरगद की शाखाओं पर देख सकेंगे जनजातीय परंपराएं, मप्र के अलावा दिखेगी छग, उप्र और गुजरात की संस्कृति

बरगद की शाखाओं पर देख सकेंगे जनजातीय परंपराएं, मप्र के अलावा दिखेगी छग, उप्र और गुजरात की संस्कृति

जनजातीय संग्रहालय में जल्द ही मप्र के नक्शे के साथ देश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्र की जनजातियों की प्राचीन संस्कृति और परंपराओं में विविधता के बीच समानता देखने को मिलेगी। यहां गैलेरी नंबर एक में दो तलीय सांस्कृतिक वैविध्य केंद्र बनाया जा रहा है। इस केंद्र में भारत के विभिन्न प्रांतों में बसे आदिवासियों के जीवन को दीवारों पर उकेरा जाएगा। तीन साल में गैलेरी का करीब 80 फीसदी काम पूरा हो पाया है। गैलेरी अगले साल तक बनकर तैयार हो जाएगी।

गैलेरी में तैयार वट वृक्ष

गैलेरी के बीच के हिस्से का वट वृक्ष सब कुछ अपने आप में समेटे हुए है। इसकी शाखाओं पर दर्शक जनजातियों के ट्रेडिशन को देख सकेंगे। जनजातीय परंपराओं में बरगद के वृक्ष का विशेष स्थान है। नीचे के तल से लगी हुई दीवारों पर मप्र के पड़ोसी राज्यों क्रमश: महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, उप्र और छग के जनजातीय जीवन को उस प्रदेश के जनजातीय समुदायों के महत्वपूर्ण कला पक्ष को अभिव्यक्त किया जाएगा।

मप्र व आसपास के राज्यों की सांस्कृतिक झलक

मप्र की सीमाएं पांच अन्य राज्यों को छूती हैं। दीर्घा के मध्य भाग में प्रदेश का त्रि- आयामी मानचित्र तैयार किया जाएगा, जिस पर प्रदेश की सभी प्रमुख छह जनजातियों की प्रतीकात्मक उपस्थिति दर्शाई जाएगी। दीर्घा में एक स्थान से उठती सीढियां ऊपर जाकर सर्पिलेकार रैंप से जुडेगी। ग्राउंड फ्लोर पर मप्र व आसपास के राज्यों की सांस्कृतिक झलक देखने को मिलेगी। दर्शक उनकी लाइफ स्टाइल के फर्क को जान सकेंगे। पहले तल पर दर्शक रैंप पर चढ़कर दुनिया की विभिन्न संस्कृतियों पर तैयार दीर्घा और मानचित्र की परिक्रमा करते हुए विहंगम दृश्य का आनंद ले सकेंगे।

भारतीय जनजातियों की सांस्कृतिक और परंपरागत समानता और विविधता को व्यक्त करने के लिए इस दीर्घा का निर्माण किया जा रहा है। यह दिखाएगा कि अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्र की जनजातियों की संस्कृति, परंपरा विविधता के बाद भी एक समान है। -अशोक मिश्रा, अध्यक्ष, जनजातीय संग्रहालय