एमटीएच में उपचार सुविधाओं के अभाव में दो मरीजों की मौत

एमटीएच में उपचार सुविधाओं के अभाव में दो मरीजों की मौत

इंदौर । अनियमितताओं का गढ़ बन चुके शासकीय कोविड अस्पताल एमटीएच में व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। यहां भर्ती मरीजों के परिजन दिन-रात उनकी खोजखबर लेने भटकते रहते हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। साथ ही मरीजों को उचित उपचार नहीं मिलने के आरोप भी प्रतिदिन पीड़ित परिजन लगाते रहते हैं। गुरुवार को यहां कई परिजन अपने मरीज का पता करने भटकते रहे। मरीज के बारे में जानकारी नहीं मिलने पर उन्होंने हंगामा भी किया। शाम ढलते-ढलते दो मरीजों के परिजनों को उनकी मौत की सूचना की खबर मिली, जिससे दोनों परिवार बेसुध हो गए।

केस 1

सुबह 11 बजे से नानी की खबर लेने बैठे रहे, शाम को मौत की खबर गोटू महाराज की चाल निवासी सूरज राणा ने बताया कि उन्होंने अपनी 75 वर्षीय नानी लीलाबाई को शुगर और ब्लड प्रेशर की समस्या के चलते यहां भर्ती कराया था। उन्हें बीमा अस्पताल ईएसआईसी से बुधवार शाम को यहां रेफर किया गया था। बुधवार रात 8 बजे एमटीएच में भर्ती कराया। गुरुवार सुबह 11 बजे से पूरे दिन अस्पताल के गेट पर बैठे रहे, लेकिन नानी की कोई जानकारी नहीं मिल सकी। शाम 7 बजे उनकी मौत की जानकारी दी गई। जबकि नानी की 3 दिन में 3 कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव थीं।

केस 2

सेठ से मिन्नतें कर 32000 के इंजेक्शन खरीदे, फिर भी पति की मौत शंकर कुमार का बगीचा निवासी लक्ष्मी ने बताया कि पति संदीप कामले (30) को टायफायड होने की शिकायत पर भर्ती किया गया। उन्हें कोरोना बता दिया गया। महंगे इंजेक्शन लिखे तो सेठ से मिन्नतें कर 32000 हजार के इंजेक्शन खरीद कर यहां दिए लेकिन पति को उपचार ही नहीं दिया गया। सुबह किसी के माध्यम से पति से बात हुई तो पति ने कहा, यहां से ले जाओ। तीन दिन न भोजन मिला है न ही दवा। बच नहीं पाऊंगा। शाम को पति के मौत की खबर मिली 33सीधी बात

 डॉ.अनुपमा दवे, उपाधीक्षक एमटीएच अस्पताल स्टाफ की कमी से जूझ रहा है एमटीएच

प्र- परिजनों का आरोप है कि मरीजों की इलाज के अभाव में जान गई?

उ- हम सभी को उचित उपचार देते हैं। दरअसल उन्हीं की मौत हो रही है, जो अन्य बीमारियों से ग्रस्त होने के साथ देर से अस्पताल आ रहे हैं। समय से इलाज मिलने पर कई लोग स्वस्थ होकर घर जा रहे हैं।

प्र- परिजनों का आरोप है कि यहां मरीज की जानकारी नहीं मिल पाती?

उ- हमारे यहां परामर्श केंद्र और कॉल सेंटर दोनों ही हैं। परामर्श केंद्र पर परिजन डॉक्टर से अपने मरीज का स्टेट्स जान सकता है। वहीं काल सेंटर पर जाकर फोन से अपने मरीज से बात कर सकता है।

प्र- मरीजों की शिकायत है कि उनका ध्यान नहीं रखा जा रहा?

उ- हम सभी का ध्यान रखते हैं, लेकिन ये बात भी सही है कि हमारे यहां स्टाफ बहुत कम है। लगभग 250 मरीज भर्ती हैं। एक शिफ्ट में कुल 9 डॉक्टर्स समेत 29 का स्टाफ काम कर रहा है। आईसीयू में मरीज बढ़े हैं। हमें कम से कम 40 डॉक्टर्स और 40 नर्स की और जरुरत है। हम कई बार पत्र लिखकर स्टाफ बढ़ाने की मांग कर चुके हैं।

प्र- अस्पताल के गेट पर ही मरीज के परिजनों को अंदर नहीं जाने दिया जाता?

उ- हाल ही में सिक्योरिटी कम्पनी चेंज हुई है। काम से ट्यून होने में थोड़ा सा समय लगेगा।