साइन लैंग्वेज और स्पेशल एजुकेटर्स की मदद से मूक - बधिर बच्चे लिख रहे सफलता की इबारत

अंतर्राष्ट्रीय मूक-बधिर दिवस: कोई बना बैडमिंटन का इंटरनेशनल प्लेयर तो कोई स्वरोजगार की कर रहा तैयारी

साइन लैंग्वेज और स्पेशल एजुकेटर्स की मदद से मूक - बधिर बच्चे लिख रहे सफलता की इबारत

 भोपाल के लगभग 53 साल पुराने मूक-बधिर स्कूल व कौशल केंद्र आशा निकेतन में वर्तमान में 230 छात्र पढ़ रहे हैं और तमाम तरह की स्किल्स भी सीख रहे हैं। स्कूल की वाइस िप्रंसिपल सिस्टर रोहिनी जोसफ ने बताया कि स्पेशल एजुकेटर्स की मदद से ये बच्चे आम बच्चों की तरह पढ़ाई-लिखाई से लेकर नौकरी, व्यवसाय और खेलकूद में तरक्की कर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय मूक-बधिर सप्ताह का 24 सितंबर को समापन हो रहा है। इस मौके पर आई एम भोपाल ने इस केंद्र पर जाकर श्रवणबाधित छात्रों और उनके टीचर्स से बात की तो पता चला कि कोई इंटरनेशनल खिलाड़ी है, तो कोई फोटोग्राफी व पेंटिंग एग्जीबिशन में शिरकत करने की तैयारी कर रहा है।

32 साल से पत्नी के साथ श्रवणबाधित बच्चों को पढ़ा रहा हूं

मैं और मेरी पत्नी मंजू मिश्रा यहां पर पिछले 32 सालों से बच्चों को पढ़ा रहे हैं। स्कूल के बच्चे बहुत होशियार हैं, यह बच्चे और बेहतर सीख सकते हैं, इसके लिए स्मार्ट क्लास की जरूरत है। इसके लिए हम चाहते हैं कि लोग आगे आएं और स्कूल को सपोर्ट करें। इसके अलावा जो लोग साइन लैंग्वेज सीखना चाहते हैं, वे इन बच्चों के साथ समय बिताकर इसे सीख सकते हैं। -राजेश मिश्रा, टीचर, आशा निकेतन स्कूल

जुलाई में हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप में टीम इवेंट में जीता गोल्ड

भोपाल की 15 वर्षीय गौरांशी शर्मा ने वर्ल्ड डेफ यूथ बैडमिंटन चैंपियनशिप में हाल में ही भाग लिया और यहां उनकी टीम ने एक गोल्ड और दो ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए हैं। गौरांशी और उनके माता-पिता भी मूक-बधिर हैं लेकिन बचपन से ही अपनी बेटी को कुछ बनाने का जज्बा उनके भीतर था और बेटी के शौक को आगे बढ़ाया। बेटी की दिव्यांगता को कहीं भी जीवन में आड़े आने नहीं दिया। गौरांशी की कोच रश्मि मालवीय ने ट्रेनिंग देना शुरू किया और फिर गौरांशी की साइन लैंग्वेज व बॉडी लैंग्वेज को समझकर उनके बीच तालमेल बन गया।

कराते, सिलाई, पेंटिंग, डांस सभी कुछ सीख रही हूं

स्कूल में हमें सिलाई, पेंटिंग, कंप्यूटर , डांस, कराते आदि सब सिखाया जाता है, ताकि भविष्य में हमें किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो। मैं भविष्य में खुद का काम शुरू करना चाहती हूं तो अपने व्यवसाय की तैयारी कर रही हूं। -साक्षी राजपूत, छात्रा, 12वीं

फोटोग्राफी फील्ड में कॅरियर बनाने की कर रहा हूं तैयारी

घर से ज्यादा हमें स्कूल में अच्छा लगता है। स्कूल में हम-आपस में एक दूसरे से बात कर पाते हैं। मुझे फोटोग्राफी का शौक हैं, इसलिए मैंने अभी से फोटोग्राफी सीखना शुरू कर दिया, ताकि मैं आगे इसी फील्ड में अपना कॅरियर बना सकूं। -ईशांत सिंगरौली, छात्र पांचवी

28 साल में 1000 से ज्यादा बच्चों को किया शिक्षित

मैं पिछले 28 साल से बतौर स्पेशल एजुकेटर काम कर रहा हूं। इतने सालों में 1000 से ज्यादा बच्चों के पढ़ा चुका हूं। मैं फार्मा कंपनी में काम करता था और मूक-बधिर बच्चों के साथ समय बिताता था लेकिन फिर मुझे लगा कि मुझे असली संतुष्टि इन बच्चों के साथ काम करके मिल रही हैं तो मैंने बीएड स्पेशल एजुकेशन किया । मैं इन बच्चों को मैथ्स पढ़ा रहा हूं। इंटरनेशनल बैंडमिंटन प्लेयर गौरांशी शर्मा के माता-पिता प्रीति और गौरव शर्मा भी मेरे ही स्टूडेंट थे और अब उनकी बेटी गौरांशी को भी मैं ही पढ़ाता हूं। -मुकेश बैरागी, स्पेशल एजुकेटर