5 साल में 1.29 करोड़ वोटर्स ने नेता नहीं, नोटा को दिया वोट

5 साल में 1.29 करोड़ वोटर्स ने नेता नहीं, नोटा को दिया वोट

नई दिल्ली। देश के मतदाताओं को किसी भी प्रत्याशी को नहीं चुनने यानी नोटा का बटन दबाने का विकल्प पसंद नहीं आया। गुरुवार को जारी एडीआर की एक रिपोर्ट के अनुसार बीते पांच सालों में मात्र 1.29 करोड़ वोटरों ने नोटा (उपरोक्त प्रत्याशी में से कोई नहीं) का इस्तेमाल किया। चुनाव अधिकारों व कानूनों के अमल पर नजर रखने वाली गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने नोटा को लेकर रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार ये आंकड़ा पिछले पांच सालों में हुए विधानसभाओं व आम चुनाव से लिए गए हैं। दोनों संस्थाओं ने वर्ष 2018 से 2022 के दौरान विभिन्न चुनावों में डाले गए नोटा वोटों का विश्लेषण किया है। दिल्ली में सबसे कम नोटा वोट 2020 में बिहार-दिल्ली विधानसभा चुनाव में नोटा का 1.46% (7,49,360 वोट) इस्तेमाल हुआ। इनमें से बिहार में 7,06,252 वोट नोटा को मिले, तो दिल्ली में मात्र 43,108 वोट। लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा नोटा बिहार के गोपालगंज संसदीय क्षेत्र में इस्तेमाल किया गया है। गोपालगंज में 51,660 लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया। जबकि सबसे कम लक्षद्वीप में 100 वोट नोटा को मिले।

2022 के 5 विधानसभा चुनावों में मात्र 0.70% उपयोग

2022 में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में मात्र 0.70 फीसदी (8,15,430 वोट) नोटा का इस्तेमाल हुआ। इनमें से गोवा में 10,629 वोट, मणिपुर में 10,349, पंजाब में 1,10,308, उत्तर प्रदेश में 6,37,304 और उत्तराखंड में 46,840 वोट पड़े।

क्या कहते हैं आंकड़े

2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नोटा का सबसे ज्यादा उपयोग हुआ। इस चुनाव में 7,42,134 नोटा वोट पड़े।

2018 में मिजोरम विधानसभा में सबसे कम 2917 नोटा पड़े।

2018 में छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा 1.98% नोटा का इस्तेमाल हुआ था।

महाराष्ट्र की लातूर ग्रामीण सीट पर सबसे ज्यादा 27,500 नोटा वोट पड़े थे, जबकि अरुणाचल की टाली सीट पर सबसे कम 9 नोटा वोट पड़े।

अपराधियों से तौबा ज्यादा अपराधी तो ज्यादा NOTA

रिपोर्ट में एक अहम बात जो सामने आई है कि अगर किसी क्षेत्र में तीन या उससे ज्यादा अपराधी रिकॉर्ड वाले उम्मीदवार मैदान में हैं तो वहां पर नोटा का बड़ी संख्या में इस्तेमाल हुआ है। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में रेड अलर्ट क्षेत्रों 26,77,616 वोट नोटा को पड़े हैं। इसी साल छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा 1.98 फीसदी वोट नोटा को डाले गए।

नोटा को मिले बहुमत, तो दोबारा हों चुनाव: एडीआर

एडीआर ने चुनाव आयोग से सिफारिश की है कि यदि किसी चुनाव क्षेत्र में नोटा के लिए डाले गए वोट सभी उम्मीदवारों से अधिक हों तो किसी भी उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित नहीं किया जाना चाहिए। इसके बाद नए चुनाव कराए जाना चाहिए और उनमें पहले के किसी भी प्रत्याशी को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।