34 साल बाद ओरल कैंसर के मामले में भोपाल नंबर-2 पर, अहमदाबाद पहला
भोपाल। मुंह (ओरल) के कैंसर के मामलों में भोपाल नहीं, अब अहमदाबाद देश में पहले स्थान पर है। 34 साल बाद भोपाल दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। 1988 से 2022 तक इसके सबसे ज्यादा मामले भोपाल में रिपोर्ट होते थे। 2023 में भोपाल में एक लाख की आबादी पर मुंह के कैंसर के 16.3 मरीज सामने आए , वहीं अहमदाबाद में 16.9 मरीज मिले। यह आंकड़े इंडियन काउंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की भोपाल बेस्ड कैंसर रजिस्ट्री से सामने आए हैं। भोपाल के अलावा अब दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, बेंगलुरू, असम सहित 38 शहरों में आईसीएमआर की कैंसर रजिस्ट्री की जा रही है। इसके मुताबिक, भोपाल में मुंह के कैंसर के मरीज हर साल करीब चार (3.8) फीसदी की दर से बढ़ रहे हैं। 1988 में एक लाख की आबादी पर छह मरीज होते थे, जो अब बढ़कर 14.8 हो गए हैं। रजिस्ट्री के मुताबिक मप्र में हर साल लगभग 3.8 प्रतिशत की दर से कैंसर मरीज बढ़ रहे हैं। दो साल बाद मप्र में हर साल करीब 90 हजार नए मरीज मिलेंगे।
आबादी के मान से चेन्नई में कम हो गए मरीज
1988 में सबसे ज्यादा मुंह के कैंसर के मरीज चेन्नई में दर्ज किए गए थे। यहां प्रति लाख आबादी पर छह से ज्यादा मरीज थे, आज भी आंकड़ा यही है। लेकिन आबादी के मान से यह घट गया है। वहीं, बेंगलुरु में मरीजों में गिरावट आई है। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली व मुंबई में जरूर रोगी बढ़े हैं, इसके बाद भी यह संख्या यह भोपाल से काफी कम हैं। इसका एक कारण कैंसर स्क्रीनिंग ज्यादा होना भी है।
भोपाल में तंबाकू खाने का तरीका बड़ी वजह
तंबाकू व पान मसाले के उपयोग के साथ उसके खाने का तरीका भी मुंह के कैंसर की बड़ी वजह है। अन्य जगहों पर तंबाकू को खाकर थूक दिया जाता है, लेकिन भोपाल में इसे घंटों गाल और जीभ के नीचे दबा कर रखा जाता है। यही कैंसर का कारण बनता है। पुरुषों में कैंसर के कुल मरीजों में 22% व महिलाओं में 15% की वजह तंबाकू पाई गई है। - डॉ. टीपी साहू, कैंसर रोग विषेशज्ञ
मध्यप्रदेश में बच्चों में भी बढ़ रहे कैंसर के मामले
रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों में भी कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यहां प्रति एक लाख की आबादी पर 9.4 बच्चों को कैंसर है। इस लिहाज से हर साल 6500 से ज्यादा बच्चे कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं। बच्चों में मुख्यत: ब्लड कैंसर, लिम्फोमा और बोन मैरो कैंसर के मामले आते है। अब बच्चों में रीनल कैंसर के मामले भी आने लगे हैं। आईसीएमआर की स्टडी के मुताबिक देश में केवल 34 प्रतिशत बाल कैंसर मरीजों का ठीक समय पर इलाज हो पाता है। 50 प्रतिशत मामलों में इस खतरे के बारे में काफी देर से पता चलता है
इधर, प्रदेश में सर्विकल कैंसर के केस कम हो रहे
दूसरी ओर महिलाओं में सर्विकल कैंसर के मामले बीते कुछ सालों से कम हो रहे हैं। कैंसर रजिस्ट्री के मुताबिक बीते सालों में सर्विकल कैंसर के मामलें में प्रति साल 2.1 फीसदी की कमी हो रही है। महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलिमा अग्रवाल के मुताबिक महिलाओं और परिवार में अब इसके प्रति जागरूकता बढ़ी है, लेकिन इससे पीड़ित होने वाली महिलाओं की संख्या अब भी बहुत ज्यादा है।