चंद्रयान-3 के लैंडर से कम्युनिकेशन की संभावनाएं कम, हॉपिंग का ट्रायल सफल

इसरो साइंटिस्ट नीरज सत्या से हुई खास बातचीत

चंद्रयान-3 के लैंडर से कम्युनिकेशन की संभावनाएं कम, हॉपिंग का ट्रायल सफल

जबलपुर। चंद्रयान-3 के लैंडर से अब कम्युनिकेशन की संभावनाएं कम है, ये कहना है इसरो के थर्मल डिजाइनर प्रोजेक्ट मैनेजर नीरज सत्या साइंटिस्ट इंजीनियर एसजी का। जबलपुर में एक दिवसीय प्रवास पर आए नीरज ने बताया कि चंद्रयान-3 देश के लिए गौरव की बात है। पिछले दिनों लैंडर से संपर्क टूटने के बाद से सभी चिंतत जरूर हैं, लेकिन हमने वे सभी ट्रायल सफलता से कर लिए हैं, जिसके लिए चंद्रयान को चंद्रमा पर भेजा गया था। माइनस 180 डिग्री तापमान बड़ी वजह: नीरज ने बताया कि लैंडर के कम्यूनिकेशन ब्रेक होने की मुख्य वजह है कि चंद्रमा पर प्रति माह 14 दिन और 14 रात होती हंै। रात में चंद्रमा का न्यूनतम तापमान माइनस 180 डिग्री तक पहुंच जाता है। ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेट में समस्या आती है। लेकिन, चंद्रयान-3 के लैंडर की हॉपिंग ट्रायल में हम सफल रहे है। क्या है हॉपिंग का ट्रायल: नीरज ने बताया आगे चलकर मून से मनुष्य को वापस लाना हो या वहां से स्वाइल के सैंपल रिटर्न लाना हो। इसके लिए लैंडर को हॉपिंग कराया गया था। हॉपिंग में लैंडर के इंजन से कुछ सेंकड के लिए फायर किया गया और इसे कंट्रोल कर वापस सफलतापूर्वक मून की ग्रेविटी के मुताबिक लैंड किया गया। हॉपिंग की ट्रायल लैंडर और रोवर के स्लीप मोड में जाने से पहले पूरी कर ली गई थी।