क्लर्क के तौर पर की थी शुरुआत देश के राष्ट्रपति बने

क्लर्क के तौर पर की थी शुरुआत  देश के राष्ट्रपति बने

नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 1963 में कलकत्ता के पोस्ट और टेलीग्राफ आॅफिस में एक अपर डिवीजन क्लर्क के रूप में करियर की शुरूआत की। इसके बाद उन्होंने विद्यानगर कॉलेज में राजनीतिक विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाया भी। राजनीति में आने से पहले देशर डाक मैगजीन में पत्रकार रहे।   जब 1969 में प्रणब राज्यसभा के सदस्य बने, तो उनका आवास राष्ट्रपति भवन के पास था। एक दिन उन्होंने राष्ट्रपति की घोड़े वाली बग्घी को देखकर अपनी बहन अन्नापूर्णा बनर्जी से कहा था कि इस आलीशान राष्ट्रपति भवन का आनंद उठाने के लिए वो अगले जन्म में घोड़ा बनना पसंद करेंगे। तब उनकी बहन ने कहा था कि इसके लिए तुम्हें अगले जन्म तक रुकना नहीं पड़ेगा, बल्कि इसी जन्म में मौका मिलेगा।

 राजनीतिक जीवन की शुरुआत 

1969 में इंदिरा गांधी ने प्रणब मुखर्जी की काबिलियत को पहचाना और कांग्रेस जॉइन करने का आॅफर दिया। प्रणब इसे स्वीकार कर लिया। इसी साल इंदिरा गांधी की मदद से वे राज्यसभा सदस्य बने। इसके बाद वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्यसभा के लिए चुने गए। वे 1973 में इंदिरा गांधी की कैबिनेट में पहली बार मंत्री बने। उन्हें राजस्व और बैंकिंग मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया था। इंदिरा गांधी की सरकार में 15 जनवरी 1982 से 31 दिसंबर 1884 तक वित्त मंत्री रहे। तीन बार बजट पेश किया। इसके बाद मनमोहन सिंह की सरकार में 24 जनवरी 2009 से 26 जून 2012 तक वित्त मंत्री रहे। चार बार बजट पेश किया। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रणब दा के राजीव गांधी के साथ मतभेद बढ़ गए। उन्हें पार्टी से 6 साल के लिए निकाल दिया गया। इसके बाद प्रणब ने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया। हालांकि, 1989 में पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया।राजीव गांधी की हत्या के बाद पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने। उन्होंने प्रणब मुखर्जी को योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया। बाद में उन्हें विदेश मंत्री की जिम्मेदारी भी दी।  इसके बाद मनमोहन सरकार में विदेश मंत्री रहे।सोनिया गांधी ने 15 जून 2015 को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया। इसका ऐलान सोनिया गांधी ने किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, शरद पवार और पी चिदंबरम मौजूद थे।प्रणब मुखर्जी ने 25 जुलाई को 13वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। वे 25 जुलाई 2017 तक इस पद पर रहे।प्रणब दा अपने फैसले पर कायम रहने वाले लोगों में से एक थे। उनकी यह झलक 7 जून 2019 में संघ के समारोह में शामिल होने पर दिखी थी। अलग विचारधारा के होने के बाद भी उन्होंने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। उनके इस फैसले पर कांग्रेस नेताओं ने भी सवाल उठाए थे।2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने वापसी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शपथ लेने के पहले 28 मई को प्रणब मुखर्जी से आशीर्वाद लेने पहुंचे। मुखर्जी ने मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें अपने हाथों से मिठाई खिलाई।