कयामत की घड़ी में बचे हैं 90 सेकंड, वैज्ञानिकों ने किया अलर्ट

कयामत की घड़ी में बचे हैं 90 सेकंड, वैज्ञानिकों ने किया अलर्ट

शिकागो। महाविनाश की घड़ी में 90 सेकंड बचे हैं। वैज्ञानिकों के पास एक सांकेतिक घड़ी है, जो दिखाती है कि हम महाविनाश से कितने दूर हैं। घड़ी में साल 2023 में यूके्रन युद्ध के कारण महाविनाश में 90 सेकंड बचे थे। 2024 में भी वैज्ञानिकों ने बड़ा खतरा बताया है। प्रलय के दिन की घड़ी सांकेतिक रूप से दिखाती है कि हम तबाही के कितने करीब हैं। घड़ी पर आधी रात से 90 सेकंड पहले का समय दर्ज किया गया है। वैज्ञानिकों ने अपने हाथों से इस घड़ी के समय में बदलाव किया। यह घड़ी आधी रात के सबसे करीब है, लेकिन वैज्ञानिकों ने इसे और आगे बढ़ाने से रोक दिया है। उन्होंने कहा कि घड़ी के समय को बढ़ाने का कारण परमाणु हथियारों की नई होड़, यूक्रेन युद्ध और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चिंताएं हैं।

परमाणु वैज्ञानिकों की ओर से हर साल बदला जाता है समय

इस घड़ी का समय परमाणु वैज्ञानिकों के बुलेटिन की ओर से हर साल बदला जाता है। 2007 से वैज्ञानिकों ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल समेत जलवायु परिवर्तन और एआई जैसे नए मानव निर्मित जोखिमों पर भी विचार किया है। बता दें, पिछले साल में दुनियाभर में जंग के हालात को देखते हुए इस घड़ी में 3 साल में पहली बार 10 सेकेंड कम किए गए थे। वैज्ञानिकों के मुताबिक घड़ी में आधी रात का वक्त होने में जितना समय कम रहेगा उतना ही दुनिया में परमाणु युद्ध का खतरा ज्यादा करीब होता जाएगा।

हिरोशिमा-नागासाकी बमबारी के बाद बनाई गई थी घड़ी

डूम्सडे क्लाक को 1947 में परमाणु बम बनाने वाले जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर और उनके साथी अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बनाया था। अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर किए गए परमाणु हमले के बाद इसे बनाया था। वे चाहते थे कि दुनिया के नेताओं पर प्रेशर बने, ताकि इसका इस्तेमाल फिर न हो। डूम्सडे क्लॉक केलर सेंटर में स्थित है। यह शिकागो विवि हैरिस स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में है। प्रो. डैनियल सुरक्षा बोर्ड के अध्यक्ष हैं, जो हर साल घड़ी की सुइयां निर्धारित करते हैं।