मप्र में 2025 तक होंगे 89 हजार कैंसर के मरीज, लेकिन सरकारी अस्पतालों में इलाज की कमी

मप्र में 2025 तक होंगे 89 हजार कैंसर के मरीज, लेकिन सरकारी अस्पतालों में इलाज की कमी

भोपाल। भोपाल के ग्रीन पार्क कॉलोनी के इसरार खान मुंह-गले के कैंसर से पीड़ित हैं। वह हमीदिया अस्पताल पहुंचे तो सिकाई के लिए कहा गया। वहां सुविधा नहीं होने से निजी अस्पताल में इलाज कराना पड़ रहा है। आईसीएमआर के नेशनल सेंटर आॅफ डिसीज इन्फॉर्मेशन एंड रिसर्च पोर्टल के अनुसार, मप्र में एक लाख की आबादी पर सालाना औसतन 1,789 कैंसर के नए मामले आ रहे हैं। अभी मप्र में करीब 75 हजार कैंसर रोगी हैं। 2025 तक यह संख्या 89 हजार हो जाएगी। बावजूद सरकारी अस्पतालों में इलाज की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। यह तब है, जबकि केंद्र सरकार 2010 के बाद सभी राज्यों में टर्शरी कैंसर सेंटर (टीसीसी) बनाने के लिए 40 करोड़ रु. प्रति टीसीसी व स्टेट कैंसर सेंटर के लिए 120 करोड़ की राशि जारी कर चुकी है।

केंद्र की इस योजना के तहत जारी हुआ फंड

केंद्र सरकार ने टीसीसी योजना से ग्वालियर के जीआर मेडिकल कॉलेज को 72 करोड़ रुपए और जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज को 120 करोड़ रुपए मंजूर किए। इससे इन कॉलेजों में कैंसर मरीजों की जांच, इलाज और रेडियोथैरेपी की व्यवस्था की जानी है।

चार मेडिकल कॉलेजों में रेडिएशन मशीनें कागजों में

मप्र के चार सरकारी मेडिकल कॉलेज- इंदौर, भोपाल और रीवा के मेडिकल कॉलेजों में कैंसर के इलाज के लिए लीनियर एक्सीलरेटर का प्लान है। पीपीपी मोड पर यह सुविधा शुरू कराने की मंजूरी कई बार दी जा चुकी है। टेंडर भी बुलाए गए, लेकिन हर बार अड़ंगा लग गया। अब फिर प्रपोजल मंगाए जा रहे हैं।

प्रदेश में यह है कैंसर के इलाज की स्थिति

  1. भोपाल : जीएमसी में जांच और इलाज की व्यवस्था नहीं है। पांच करोड़ का गामा कैमरा बंद पड़ा है। 2015 में लीनियर एक्सीलरेटर के लिए 15 करोड़ का फंड जारी हुआ, लेकिन पैसा दूसरे मद में खर्च कर दिया गया। यही नहीं, जीएमसी के नाम पर मंजूर मशीन को एक निजी अस्पताल को दे दिया गया।
  2. इंदौर : सुपर स्पेशियलिटी विंग के साथ टीसीसी बनाया जाना है। लीनियर एक्सीलरेटर के लिए बंकर तैयार किए जा रहे हैं। अभी तक काम अधूरा है। इसके लिए भी 45 करोड़ रु. स्वीकृत किए।
  3. जबलपुर : स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए केंद्र से 80 करोड़ और स्टेट से 55 करोड़ रु. स्वीकृत किए गए हैं। 2015 में भी कैंसर अस्पताल के लिए 135 करोड़ स्वीकृत किए गए, लेकिन अब तक सिविल वर्क ही चल रहा।
  4. ग्वालियर : टर्शरी कैंसर इंस्टीट्यूट तैयार किया जाना है। करीब पांच साल पहले मंजूरी मिली थी, लेकिन अब तक पूरी तरह से निर्माण नहीं हो सका।
  5. विदिशा : टर्शरी सेंटर के लिए चार साल पहले 40 करोड़ मिले थे, लेकिन अब तक प्लान कागजों में है। आशंका है कि यहां का फंड लैप्स हो जाएगा।
  6. सागर : 30 करोड़ की कैंसर यूनिट बनाने का प्रस्ताव है, लेकिन सालों से कागजों में है।