तीन साल पहले कुएं और बावड़ियों की सफाई का अभियान हुआ था ठप, आज तक नहीं पकड़ पाया गति

तीन साल पहले कुएं और बावड़ियों की सफाई का अभियान हुआ था ठप, आज तक नहीं पकड़ पाया गति

ग्वालियर। स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा शहर के कुएं-बावड़ियों को साफ कर ग्राउंड वाटर रिचार्ज की प्लानिंग पर काम शुरू किया गया था, लेकिन पेमेंट की शर्तों में उल्ट- पलट होने पर बिगड़े तालमेल पर कुछ जगह ही काम होकर ठप हो गया था, जो आज तक पूरी तरह से गति नहीं पकड़ पाया है। हालांकि अमृत .02 योजना में भू- जल स्तर बढ़ाने के लिए लगभग 05 करोड़ का फंड रखा गया है। साथ ही इसमें 1500 कुएं- बावड़ियों को टारगेट अनुसार संरक्षित करने की प्लानिंग होगी। बीते वित्तीय वर्ष 2019-20 के आसपास निगम में मौजूद अधिकारियों ने शहर में छाए जलसंकट को लेकर अंदरूनी तौर पर एक सर्वे करवाया था।

जिसमें पता लगा था कि ग्वालियर में कुएं-बावड़ियों की संख्या लगभग 3045 है और उसमें से लगभग 882 बिना किसी अनुमति व देखरेख के चलते बंद कर दी गई हैं, तो 1068 कुएं-बावड़ी जल आपूर्ति के उपयोग में न आने पर सूख गए हैं, जबकि 558 कुएं- बावड़ी अतिक्रमण का शिकार होने के चलते कचरे व अन्य तरह से पाटे जाने के चलते विलुप्त होने की कगार में पहुंचने की रिपोर्ट सौंपी गई थी, लेकिन स्मार्ट सिटी कंपनी ने इसके बाद वित्तीय वर्ष 2020-21 में कुएं बावड़ियों में तली झाड़ सफाई के लिए लगभग 20 लाख का टेंडर किया था और फर्म ए साई इंटरप्राइजेज के माध्यम से गोरखी, गजराराजा स्कूल, जनकगंज थाने व रायसेन का बाग में गिनती के कुएं-बावड़ियों को साफ कराने का अभियान चलाया गया था, लेकिन पेमेंट की राशि में दर विवाद के चलते मामला बिगड़ गया और फर्म काम करने से पीछे हट गई। जिसके बाद कुएं- बावड़ियों को साफ कर वाटर रिचार्जिंग के लिए उपयोग होने का अभियान ठप हो गया।

कई जगह लगाई जा चुकी है वाटर हार्वेस्टिंग किट

निगम द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग के चलते शारदा विहार बावड़ी, जनसंपर्क कार्यालय का कुआं, गोरखी की बावड़ियां व कुएं, डीआरपी लाइन के कुएं आदि को साफ कर वहां पर वाटर हार्वेस्टिंग किट लगाई जा चुकी है और अमृत .02 योजना से शहर के भूजल स्तर को फिर 40 से 50 फीट तक लाने की प्लानिंग के चलते 1500 कुओं -बावड़ियों को संरक्षण के लिए सिटी वाटर बैलेंस प्लान में शामिल किया जाएगा।

वाटर हार्वेस्टिंग  के चलते पहले शुरू हुए काम को फिर से चालू किया गया है, जिसके चलते पहले से मौजूद व शेष फंड से एसएलपी कॉलेज में अभी काम किया जा रहा है। नीतू माथुर,सीईओ, स्मार्ट सिटी ग्वालियर