बचाव में उतारे टक-17 हेलिकॉप्टर 15 हजार लोगों को सुरक्षित निकाला

बचाव में उतारे टक-17 हेलिकॉप्टर 15 हजार लोगों को सुरक्षित निकाला

श्रीनगर। पवित्र अमरनाथ गुफा के पास आई बाढ़ के बाद शनिवार को दिन भर रेस्क्यू आॅपरेशन जारी रहा। आर्मी और बीएसएफ के हल्के एमआई- 17 हेलिकॉप्टरों से फंसे श्रद्धालुओं को निकालने का काम दिन भर जारी रहा। इस हादसे में अब तक 16 लोगों की मौत की खबर है। कई के मलबे में फंसे होने की आशंका है। 15,000 तीर्थयात्रियों को आधार शिविर पंजतरणी ले जाया गया है। मप्र के एएसीएस होम डॉ. राजेश राजौरा ने बताया कि मृतकों में मप्र का कोई भी श्रद्धालु नहीं है।

बादल फटने पर भी नहीं टूटा हौसला, भोपाल के श्रद्धालु बोले- बाबा के इतने करीब पहुंच गए हैं, अब दर्शन कर ही लौटेंगे

शुक्रवार को जब गुफा के पास बादल फटने से हादसा हुआ, तो मैं पत्नी, बेटे सहित भोपाल के एक दर्जन लोगों के साथ शेषनाग से करीब 5 किमी दूर गुफा की ओर जाने की तैयारी कर रहा था। इस बीच बादल फटने की सूचना मिली, तो हम वहीं पर रुक गए। ज्यादातर श्रद्धालु बिना दर्शन किए वापस लौटने लगे हैं, लेकिन हमने निर्णय लिया है कि बाबा के दर्शन के बाद ही लौटेंगे। मौसम खराब बना है। बीएसएफ के जवान व्यवस्था बनाने में जुटे हैं। खाने-पीने की तो कोई कमी नहीं है, लेकिन इंटरनेट सेवाएं बंद होने और नेटवर्क नहीं मिलने के कारण परिवार से बमुश्किल संपर्क हो पा रहा है। फिलहाल प्रशासन ने आगे जाने पर रोक लगा रखी है। - प्रकाश पाटिल, अवधपुरी

हम पवित्र गुफा से 15 किमी दूर पंचतरणी में ठहरे हुए हैं। हमारे साथ भोपाल के करीब दो दर्जन से अधिक श्रद्धालु हैं। पंचतरणी में 3 हजार श्रद्धालुओं के खाने और ठहरने की व्यवस्था थी, लेकिन घटना के बाद यहां करीब 15 हजार श्रद्धालुओं को रोक दिया गया है। थोड़ी बहुत अव्यवस्था जरूर हुई है, टेंट कम पड़ गए हैं। इंटरनेट ठप है। बीएसएफ के जवान टेंट की संख्या बढ़ा रहे हैं। आॅक्सीजन की कमी से सांस लेने में परेशानी हो रही है। कई लोगों की तबीयत भी खराब हो गई है। प्रशासन ने टेंट का किराया नहीं लेने का ऐलान किया है। इसके बाद भी परिजन चिंतित हैं। रविवार सुबह प्रशासन बताएगा कि क्या करना है। - अनिल तिवारी, अशोका गार्डन

मप्र सरकार ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर

मप्र के शहरों से जानकारी और मदद के लिए 181 और बाहर के लोग 0755-2555582 नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं। मप्र के 45 यात्रियों ने इन नंबरों पर संपर्क किया, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों की मदद से इन्हें सुरक्षित जगह पहुंचाया गया।