भाजपा नेतृत्व ने दिल्ली में बनाई रणनीति लोस चुनाव से पहले फिर पाला बदलेंगे पार्षद

भाजपा नेतृत्व ने दिल्ली में बनाई रणनीति लोस चुनाव से पहले फिर पाला बदलेंगे पार्षद

ग्वालियर। भाजपा के दिल्ली में बैठे वरिष्ठ नेतृत्व ने ग्वालियर में एक तीर से दो निशाने साधने का काम शुरू कर दिया है। यही कारण है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस नेतृत्व वाली निगम परिषद की महापौर डॉ. शोभा सिकरवार को अल्पमत में लाने या भाजपा की शरण में आने की रणनीति पर काम शुरू हो गया है। जानकारों की मानें तो कांग्रेस में ग्वालियर विधानसभा के पार्षदों को चलाने वालों की 15 दिन पहले हुई मींटंग के चलते आचार संहिता से पहले कुछ कांग्रेस पार्षद फिर दलबदल करेंगे। नगर निगम परिषद में वर्तमान में 66 पार्षद हैं, जिसमें 41 पार्षद भाजपा के खाते में, तो 25 पार्षद कांग्रेस के पास हैं और कांग्रेस के 3 पार्षद टूट कर भाजपा में आ जाते हैं, तब महापौर डॉ. शोभा सिकरवार के पास केवल 22 पार्षद ही कांग्रेस के बैनर तले दिखाई देंगे और कांग्रेस सत्ता में होने के बाद भी निगम परिषद में अल्पमत में हो जाएगी, जिसके बाद भाजपा निगम एक्ट में प्रावधानों के तहत 01 अगस्त 2024 को दो साल का कार्यकाल पूरा होते ही महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का रास्ता साफ हो जाएगा। भाजपा जानकारों की मानें तो ये सारी उठापटक लोकसभा चुनाव में ग्वालियर को पूरी तरह से सुरक्षित सीट घोषित करने के लिए है और उसी के चलते परिषद में महापौर के नाम पर कांग्रेस विधायक डॉ. सतीश सिंह सिकरवार को टारगेट किया जा रहा है।

दलबदल पहला तो दूसरा विकल्प हटाने का भाजपा वरिष्ठ नेतृत्व के नजदीकी जानकारों की मानें तो लोकसभा चुनाव से पहले दो से तीन पार्षद भाजपा के साथ जाएंगे और महापौर को अल्पमत में लाने के साथ ही भाजपा में लाकर निगम में पुन: सत्ता प्राप्ति की रणनीति पर काम होगा। वहीं दूसरे विकल्प के रूप में वर्तमान में बहुमत के आधार पर परिषद से हर निर्णय लिया जाएगा और 01 अगस्त के बाद महापौर को अल्पमत में होने पर हटाने का प्रस्ताव पेश होगा।

ग्वालियर-ग्वालियर पूर्व के नेताओं में वर्चस्व की लड़ाई

बीते कुछ महीनों से कांग्रेस में ग्वालियर विधानसभा व ग्वालियर पूर्व के दो नेताओं में राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई जारी है और इसी के चलते ग्वालियर विधानसभा के नाराज पार्षद अपने क्षेत्र वाले नेताजी के प्रभाव में निगम परिषद में सत्ता में होने के चलते जल विहार में प्रदर्शन कर चुके हैं और इसी के चलते वे इशारा मिलते ही दल भी बदल सकते हैं।

बीते रविवार को पांच पार्षदों ने बदला था पाला

बीते रविवार की शाम को वार्ड 19 से कांग्रेस पार्षद कमलेश तोमर और पूर्व पार्षद बलवीर तोमर ने मुरार में व वार्ड 62 की कांग्रेस पार्षद गौरा अशोक गुर्जर सहित वार्ड 23 से बसपा पार्षद सुरेश सोलंकी, वार्ड दो से निर्दलीय पार्षद आशा सुरेंद्र चौहान और वार्ड छह के पार्षद दीपक मांझी ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समक्ष जयविलास परिसर में भाजपा की सदस्यता ली थी।

दिल्ली में 15 दिन पहले बनी थी रणनीति

जानकारों की मानें तो निगम परिषद में पार्षदों के दलबदल से 15 दिन पहले ही कांग्रेस के ग्वालियर विधानसभा से एक चुनाव लड़कर हार चुके नेता की दिल्ली में केन्द्रीय नेतृत्व में शामिल मंत्री से मुलाकात हुई थी और उसी के बाद पार्षदों ने पलटी मारी है, क्योंकि परिषद में ये सभी उन्हीं के इशारे पर चल रहे थे और आने वाले दिनों में कांग्रेस वाले नेता जी दूसरी किस्त भाजपा के लिए रिलीज करेंगे।