नामांकन में नौ दिन शेष, कांग्रेस हाईकमान के बीच फंसा ग्वालियर और मुरैना का टिकट

नामांकन में नौ दिन शेष, कांग्रेस हाईकमान के बीच फंसा ग्वालियर और मुरैना का टिकट

ग्वालियर। करीब सवा सौ वर्ग किलोमीटर में फैले ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में नामांकन फार्म भरे जाने में अब सिर्फ 9 दिन शेष बचे हैं लेकिन पट्ठों को टिकट दिलाने में उलझी कांग्रेस अभी तक ग्वालियर- मुरैना का टिकट फाइनल नहीं कर पाई है। कभी दिल्ली के भरोसे की बात आती है तो कभी प्रादेशिक क्षत्रप अपने-अपने पट्ठों को टिकट दिलाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं। इसीलिए टिकट फाइनल नहीं हो सका है, जबकि भाजपा ने पहली फुर्सत में ही पूर्वमंत्री भारत सिंह कुशवाह का टिकट घोषित कर दिया था।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि आपसी जद्दोजहद के बीच अगर पीसीसी चीफ और नेता प्रतिपक्ष हाईकमान के ऊपर टिकट छोड़ देते तो अभी तक तय हो जाता, कि ग्वालियर-मुरैना से कौन- कौन चुनाव लड़ेगा। पंकज और नीटू के बीच फंसा है पेच मुरैना लोकसभा सीट से जौरा विधायक पंकज उपाध्याय और सुमावली के पूर्व विधायक नीटू सिकरवार के बीच पेच बुरी तरह फंस गया है। दोनों दावेदार एक दूसरे से कम नहीं हैं।

राजा की पहली पसंद रामसेवक सिंह

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पीसीसी चीफ जीतू पटवारी की पसंद ग्वालियर से रामसेवक सिंह गुर्जर बाबूजी को एक बार फिर लोस प्रत्याशी का टिकट दिलाना है। वर्ष 2004 में वे लोकसभा का चुनाव लड़कर ग्वालियर के सांसद रह चुके हैं। भारत जोड़ो न्याय यात्रा लेकर ग्वालियर आए राहुल गांधी से दिग्विजय सिंह ने ही बाबूजी की मुलाकात कराई थी। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की पसंद पूर्व विधायक प्रवीण पाठक हैं। वे पूरे कसबल लगाए हैं कि पाठक को टिकट मिले। इसीलिए दांवपेच में ग्वालियर का टिकट उलझा है।

पार्टी हाईकमान की सोच है कि ग्वालियर से इस बार किसी ब्राह्मण प्रत्याशी को टिकट दिया जाए। मालूम हो कि वर्ष 2006 (उपचुनाव) 2009, 2014, 2019 के चुनाव में पार्टी ने ओबीसी चेहरे को ही टिकट दिया था। इन चुनावों में दो बार यशोधरा राजे, एक बार नरेन्द्र सिंह तोमर और एक बार विवेक नारायण शेजवलकर ग्वालियर के सांसद रह चुके हैं। 2024 का टिकट घोषित करने में पार्टी को मशक्कत करना पड़ रही है।

पार्टी जल्दी घोषणा कर दे ताकि बोझ सिर से उतर सके। जिसे पार्टी टिकट देगी वह अपनी तैयारी भी शुरू कर सकेगा। रामसेवक सिंह, पूर्व सांसद