RVI की प्राथमिकताओं में बदलाव वृद्वि के बजाय मुद्रास्फीति पर जोर

RVI की प्राथमिकताओं में बदलाव वृद्वि के बजाय मुद्रास्फीति पर जोर

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि करीब तीन साल तक आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने की कोशिशों के बाद केंद्रीय बैंक बढ़ती मुद्रास्फीति से जुड़े दबावों से निपटने के लिए अपनी नीतिगत प्राथमिकताओं में बदलाव करने जा रहा है। दास ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि आरबीआई का रुख अब भी उदार बना हुआ है लेकिन अब कोरोना काल में प्रभावी रहीं सरल नीतियों को वापस लेने पर जोर रहेगा। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में देखी जा रही वृद्धि की आशंकाओं के बीच रिजर्व बैंक महामारी के दो वर्षों में अपनाए गए बेहद नरम मौद्रिक नीतिगत रुख को वापस लेगा। उन्होंने कहा, अब समय आ गया है जब केंद्रीय बैंक को अपनी प्राथमिकता वृद्धि के बजाय मुद्रास्फीति के प्रबंधन की तरफ केंद्रित करनी होगी। रिजर्व बैंक के मिंट रोड स्थित मुख्यालय पर फरवरी, 2020 के बाद पहली बार आफलाइन तरीके से मीडिया को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि मौद्रिक नीति की प्राथमिकताओं में वृद्धि पर मुद्रास्फीति प्रबंधन को तरजीह देने का यह उपयुक्त समय है। इस रुख में तीन साल बाद बदलाव हो रहा है। चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान में की गई बढ़ोतरी इसका संकेत देती है। दास ने कहा, प्राथमिकताओं की बात करें तो हमने अब वृद्धि पर मुद्रास्फीति को तरजीह दी है। पहले स्थान पर मुद्रास्फीति है, फिर वृद्धि का नंबर आता है। फरवरी, 2019 से लेकर पिछले तीन साल में हमने मुद्रास्फीति पर वृद्धि को ही अहमियत दी थी। उन्होंने कहा, लेकिन इस बार हमने प्राथमिकताओं में बदलाव किए हैं। हमें लगा कि यह इसके लिए उपयुक्त समय है और ऐसा किए जाने की जरूरत भी है। इस संवाददाता सम्मेलन से पहले रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया है। वहीं सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के अनुमान को 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया गया है। गवर्नर ने कहा कि यू्क्रेन युद्ध की वजह से कच्चे तेल, खाद्य तेल और अन्य जिंसों के दाम बढ़े हैं, जिससे केंद्रीय बैंक को अपने मूल्य परिदृश्य को ऊपर की ओर संशोधित करना पड़ा है।

चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा की मुख्य बातें

नीतिगत रेपो दर चार प्रतिशत के स्तर पर बरकरार

सीमांत स्थायी सुविधा दर और बैंक दर भी 4.25 प्र. पर अपरिवर्तित।

मुद्रास्फीति को निर्धारित लक्ष्य के भीतर रखने के लिए रिजर्व बैंक अपने नरम रुख को धीरे-धीरे वापस लेने पर ध्यान देगा।

वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी वृद्धि के अनुमान को 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत किया गया।

मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को 4.5 प्र. से बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत किया गया।

भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने से आर्थिक परिदृश्य प्रभावित।

रबी फसलों की उपज अच्छी रहने से ग्रामीण मांग में सुधार की उम्मीद।

कारोबारी धारणा सुधरने, बैंक ऋण में तेजी आने और सरकार की पूंजीगत व्यय की योजनाओं से निवेश गतिविधियों को मजबूती मिलेगी।

आरबीआई से विनियमित वित्तीय बाजारों के खुलने का समय 18 अप्रैल से महामारी-पूर्व की तरह 9 बजे होगा।

युक्तिसंगत आवासीय ऋण मानकों को 31 मार्च 2023 तक बढ़ाया गया।

आरबीआई जलवायु जोखिम एवं टिकाऊ वित्त पर परामर्श-पत्र लेकर आएगा।

आरबीआई अपनी निगरानी वाली इकाइयों में उपभोक्ता सेवा संबंधी मानकों की समीक्षा के लिए एक समिति बनाएगा।

यूपीआई के जरिये कार्ड- रहित नकदी निकासी की सुविधा का दायरा सभी बैंकों एवं एटीएम नेटवर्क तक बढ़ाया जाएगा।