अगले बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नई पूंजी नहीं डालेगी सरकार

अगले बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नई पूंजी नहीं डालेगी सरकार

नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वित्तीय स्थिति बेहतर होने से अगले वित्त वर्ष के बजट में सरकार की तरफ से बैंकों में नई पूंजी डालने की घोषणा होने की संभावना कम ही दिख रही है। आधिकारिक सूत्रों ने यह संभावना जताई है। सूत्रों के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पूंजी पर्याप्तता अनुपात नियामकीय जरूरत से अधिक हो चुका है और इस समय यह 14 से लेकर 20 प्रतिशत के बीच है। ये बैंक अपने संसाधनों को बढ़ाने के लिए बाजार से कोष जुटा रहे हैं। इसके अलावा वे अपनी गैर-प्रमुख परिसंपत्तियों की बिक्री का तरीका भी अपना रहे हैं। सरकार ने पिछली बार अपनी तरफ से पूंजी डाली थी।

राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को कम रख सकती है सरकार

चुनावी वर्ष से पहले सरकार के अगले वित्त वर्ष के लिए अंतिम पूर्ण बजट में पूंजीगत व्यय बढ़ाने की उम्मीद है। हालांकि, इसके बावजूद सब्सिडी में कमी और बजट का आकार बढ़ने से राजकोषीय घाटे का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के मुकाबले कम रखे जाने की संभावना है। आर्थिक विशेषज्ञों ने यह अनुमान जताया है। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में सब्सिडी करीब 3.56 लाख करोड़ रुपए और राजकोषीय घाटा जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 6.4 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई थी।

इलेक्ट्रिक वाहनों की पहुंच बढ़ाने के लिए अभी जारी रहें सरकार की योजनाएं : वाघ

देश में इलेक्ट्रिक और शून्य-उत्सर्जन वाहनों को बढ़ावा देने के लिए ‘फेम-दो’ जैसी योजनाओं को तब तक जारी रखा जाना चाहिए जब तक कि ऐसे वाहनों की पहुंच बेहतर स्तर के स्थानीयकरण के साथ एक निश्चित सीमा तक नहीं पहुंच जाता। टाटा मोटर्स के कार्यकारी निदेशक गिरीश वाघ ने यह बात कही है। वाघ ने कहा कि ‘फेम-दो’योजना अगले साल समाप्त हो रही है इसलिए इसके विस्तार पर भी विचार किया जाना चाहिए। इसमें बड़ी इलेक्ट्रिक बसों को सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए शामिल किया जाना चाहिए।