चोरी गए लेटरपैड में इस्तीफा देकर फंसे केंट बोर्ड के पार्षद अजय पदम

चोरी गए लेटरपैड में इस्तीफा देकर फंसे केंट बोर्ड के पार्षद अजय पदम

जबलपुर ।  केंट बोर्ड में कांग्रेस समर्थित महिला पार्षद के चोरी हुए लेटरपैड पर एक भाजपा समर्थित पार्षद को इस्तीफा देना महंगा पड़ सकता है। कांग्रेस समर्थित महिला पार्षद ने इस मामले में कड़ी आपत्ति जताते हुए पूरे प्रकरण की जांच के लिए केंट बोर्ड सीईओ एवं पुलिस को शिकायत सौंपी है। वहीं प्रेसीडेंट केंट बोर्ड पीसीबी, केंट बोर्ड सीईओ को भी लिखित शिकायत दी है। महिला पार्षद का आरोप है कि एक माह पूर्व जो लेटरपैड चोरी हो गए थे उनका भाजपा पार्षद के पास पाया जाना किसी बड़े षडयंत्र की ओर इशारा करता है। लिहाजा इस मामले में पुलिस वैधानिक प्रकरण दर्ज करते हुए जांच करे। जानकारी के मुताबिक केंट बोर्ड द्वारा सदर मेनरोड स्थित एक दुकान के निर्माण को लेकर की गई शिकायतों की वास्तविकता जानने के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया गया था। जिसमें केंट बोर्ड उपाध्यक्ष को चेयरमैन एवं भाजपा समर्थित निर्वाचित पार्षद अजय पदम एवं सुंदर अग्रवाल को मेंबर नियुक्त किया गया था। उक्त कमेटी से पार्षद अजय पदम ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे के बाद केंट बोर्ड चेयरमैन ने नए मेंबर के तौर कविता अमरचंद बावरिया की नियुक्ति कर दी है।

कैसे हुआ खुलासा

नए मेंबर की नियुक्ति के बाद सोमवार को नए सिरे से काम प्रारंभ करने के लिए आज कमेटी की बैठक बुलाई गई थी। बैठक में पुर्व कमेटी द्वारा किए गए कार्यो से जुड़ी फाइलों को नए मेंबर कविता अमरचंद बावरिया के समक्ष अवलोकन के लिए रखा गया। दस्तावेजों के अवलोकन के दौरान कविता बावरिया की नजर पूर्व में कमेटी के मेंबर रहे अजय पदम के द्वारा दिए गए इस्तीफे पर पड़ी। उन्होंने देखा कि जिस लेटरपैड का उपयोग पार्षद अजय पदम द्वारा किया गया है, वह तो उनका है। जो पिछले माह चोरी हो गया था। जिसकी शिकायत उन्होने 5 जुलाई केंट थाने में दे रखी है। इस्तीफे के लिए हुए उनके लेटरपैड के उपयोग पर उन्होंने ने कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए पूरे प्रकरण से केंट बोर्ड सीईओ को अवगत कराया। इस मामले में पार्षद कविता अमरचंद बावरिया ने बताया कि वे केंट थाने में भी शिकायत दे रही हैं। आखिर उनके लेटरपैड का उपयोग करने के पीछे पार्षद अजय पदम का क्या मकसद था इसकी जांच होनी चाहिए।

पहले कमेटी में शामिल होने की जिद, फिर इस्तीफा

केंट बोर्ड मेंबर अजय पदम का इस पूरे प्रकरण में जो व्यवहार रहा है वह समझ के परे था। सूत्रों की माने तो पूर्व में जब कमेटी का गठन हो रहा था तब एक भाजपा एवं एक कांग्रेस समर्थित मेंबर को शामिल किया जा रहा था। उस दौरान पार्षद अजय पदम कमेटी में शामिल होने की जिद पर अड़ गए थे। जिसको देखते हुए सभी ने उनके नाम पर सहमति दे दी थी। लेकिन चंद रोज बाद ही वे इस्तीफा लेकर आ गए। अब चचार्एं हैं कि पार्षद अजय पदम यह समझ गए थे कि उक्त कमेटी में रहने से उन्हें हासिल तो कुछ नहीं होगा। उल्टा उनकी संपत्तिया भी विवादों में आ जाएगी। उल्लेखनीय है कि शासकीय भूमि में अवैधानिक रूप से मकान बनाने के कारण ही उनका नाम वोटर लिस्ट से पूर्व में ही काटा जा चुका है।